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भ. पार्श्वनाथ उपदिष्ट चातुर्याम धर्म
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का अर्थ हुआ चार संख्या वाले यमों का समूह । अब यहां याम शब्द की “प्रकृति, उसके अर्थ तथा संख्या पर भी उहापोह करना आवश्यक है ।
याम का अर्थ
'याम' शब्द यम् धातु में धम प्रत्यय लगाने से बना है । इसका अर्थ नियंत्रण, निषेध, संयम और निग्रह होता है । यम की व्युत्पत्ति करते हुए कहा गया है कि
"यच्छति नियच्छति इन्द्रियग्राममनेनेति यम" : १
अर्थात् इन्द्रियों और मन का नियंत्रण जिसके द्वारा होता है वह यम कहलाता है। इसी व्युत्पत्ति के आधार पर हलायुध शब्दकोष में यम का अर्थ संयम किया गया है । २
याम के भेद.
याम शब्द का अर्थ सुनिश्चित होने के पश्चात् यह जानना जरूरी है कि यम या याम कें कितने भेद हैं ।
जैंनेतर भारतीय संस्कृति में यमों की संख्या दस तक बतलाई गई है।
यथा
ब्रह्मचर्यदयाक्षान्तिर्दान सत्यम् - कल्पता । अहिंसाऽस्तेय माधुर्ये दमश्चेतियमाः स्मृताः । । ` अनुरास्यं दयासत्यमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् । • प्रीतिः प्रसादो माधुर्य मार्दवं च यमा दश ।।
योग दर्शन में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह ये पांच यम बतलाये गये हैं । जैनधर्म में चार याम बतलाये गये हैं । राजेन्द्र अभिधान कोश में कहा भी है:
“चतुर्ण परिग्रह विरत्यन्तर्भूत ब्रह्मचर्यत्वेन चतुसंख्यानां यामानां समाहारश्चातुर्याम””। अर्थात् परिग्रहविरति में ब्रह्मचर्य का अन्तर्भाव हो जाने से चार यामों का समूह चातुर्याम है ।