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तीर्थकर पार्श्वनाथ अवगाहना १५ इंच है। मूर्ति लेख के अनुसार यह वि.सं. १६६४ की है। इसी वेदी में कृष्ण पाषाण की १८ इंच ऊँची पद्मासन प्रतिमा है, इस मूर्ति पर लेख नहीं हैं लेकिन इसके साथ जो सत्रह मूर्तियां हैं उन पर वि. सं. १५५५ अंकित है। इस वेदी के पीछे वाली वेदी पर भगवान् पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा मथुरा वृन्दावन के बीच घिरौरा गाँव के समीपवर्ती अक्रूर-धार के पास दि. १६.८.१९६६ को भूगर्भ से प्राप्त हुई थी, इसके पीठासन पर सं. १८९ अंकित है। यह प्रतिमा कुषाणकाल की है। इसी प्रतिमा की दायीं ओर की वेदी में भगवान् पार्श्वनाथ की श्वेत पाषाण की प्रतिमा विराजमान है।
प्रयाग : प्रयाग के चाहचन्द मौहल्ला सरावगियान में पार्श्वनाथ पंचायती मंदिर है। इस मन्दिर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था। इसमें स्लेटी वर्ण की भ. पार्श्वनाथ की मूलनायक प्रतिमा है।
पवा जी (पावागिरि) : ललितपुर जनपद में स्थित इस स्वर्णभद्र आदि ४ मुनियों की सिद्धभूमि के किनारे पावा पहाड़ी की तलहटी में भोयरे में सं. १२९९ एवं १३४५ की श्यामवर्णी अतिशय मनोहर मूर्तियां भ. पार्श्वनाथ की विराजमान हैं। भ. पार्श्वनाथ की अतिशय युक्त मूर्ति के दर्शन से भक्तों की मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। .
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र प्रान्त में भगवान् पार्श्वनाथ के प्रति विशेष भक्ति भावना है। यहां की चमत्कारी मूर्तियां, उनके अतिशय, उनकी प्रभावना चतुर्दिक प्रशंसनीय हैं। भ. पार्श्वनाथ सम्बन्धी कुछ प्रमुख मूर्तियां एवं तीर्थ इस प्रकार हैं।
शिरपुर - अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ : अकोला जिला में स्थित यह तीर्थ अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ चोलवंशी नरेश श्रीपाल ने मंदिर का निर्माण कराया था जिसमें भगवान् पार्श्वनाथ की भव्य मूर्ति है। किंवदन्ती है कि श्रीपाल का कुष्ठरोग यहीं दूर हुआ था। प्रतिमा अन्तरिक्ष में थी जिसके नीचे से एक घुड़सवार निकल जाता था।। मुगलकाल में मूर्ति