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भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्तियों का वैशिष्ट्य
३१७ स्थानों से पैदल चलते हुए आकर मान्यता मानते हैं। मूर्ति के चमत्कार से वे सब पूरी हो जाती हैं।
गुजरात
गुजरात प्रान्त में महुआ (जिला सूरत) में लगभग १००० वर्ष प्राचीन विघ्नहर पार्श्वनाथ की भव्य मूर्ति है जो भक्तों की मनोकामना पूर्ति करती है। सूरत और बड़ौदा रेलमार्ग पर स्थित अंकलेश्वर अतिशय क्षेत्र है जहाँ स्थित भ. पार्श्वनाथ की मूर्ति चिन्ता मुक्ति दिलाती है। पावागढ़ सिद्ध क्षेत्र पर स्थित चिन्तामणि पार्श्वनाथ की मूर्ति की प्रतिष्ठा सं० १६६० में हुई थी। __अहमदाबाद से न्वड़ाली रेलवे स्टेशन के निकट भगवान पार्श्वनाथ की अतिशय प्रतिमा अभीझरों पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि पूजन के पश्चात् इस मूर्ति से अमृत झरता है।
राजस्थान .. । झालावाड़ जिले में डव्होल ग्राम स्थित नागेश्वर पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र है। यहाँ हरित वर्ण के ग्रेनाइट पाषाण की १४ फुट उतुग चमत्कारी नागेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि यह मूर्ति भगवान् पार्श्वनाथ के जीवनकाल में निर्मित एवं मरकतमणि से मण्डित थी और अहिच्छत्रनगरी के स्वर्ण मन्दिर में विराजमान थी। अतिराय क्षेत्र बिजौलिया (भीलवाड़ा.) में भूगर्भ से प्राप्त भगवान् पार्श्वनाथ की प्रतिमा की प्रतिष्ठा लोलार्क नामकं श्रेष्टी द्वारा करायी गयी थी। एक मान्यता के अनुसार यहीं भ. पार्श्वनाथ पर उपसर्ग हुआ तथा केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। विद्वानों से विशेष अनुसन्धान की अपेक्षा है।भीलवाड़ा से ४५ कि.मी. दूर चूलेश्वर या चंवलेश्वर पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र है। पर्वत की चूल (चोटी) के गर्भ से प्राप्त भ. पार्श्वनाथ की मूर्ति की प्रतिष्ठा स्थानीय सेठ शाह श्याम ने संवत १००७ में करायी थी।