Book Title: Tirthankar Parshwanath
Author(s): Ashokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharti

Previous | Next

Page 416
________________ प्रभु पार्श्व की कतिपय कलापूर्ण ऐतिहासिक प्रतिमायें ३५३ हैं पर शायद ही किसी मंत्री या अध्यक्ष को इतना ज्ञान हो कि इनके मंदिर में कितनी प्रतिमाएं किस काल की हैं, प्रतिष्ठाचार्य कौन थे किस श्रावक ने प्रतिष्ठा कराई.आदि। इसी तरह पांडुलिपियों का हाल है। चुनाव के समय से सब बातें सामने आनी चाहिएं बाकायदे उनका रजिस्टर में उल्लेख हो । या केरल की भांति writer's guild जैसे कोआपरेटिव संस्थाएं बने और विद्वज्जन स्वयं अपने ही बल ऐसा प्रयोग करें । अंत में उन सभी मनीषी विद्वानों एवं म्युजियम उत्तराधिकारियों का हृदय से कृतज्ञ एवं आभारी हूं जिनके ग्रंथों लेखों आदि से इतनी सामग्री संकलित कर सका हूं तथा चित्रावली ढूंढ सका हूं। अभी कुछ संकलन मेरे पास और भी हैं। इस लेख में चित्रावली के कुछ चित्रों का वर्णन है कुछ का नहीं ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 414 415 416 417 418