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प्रभु पार्श्व की कतिपय कलापूर्ण ऐतिहासिक प्रतिमायें
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हैं पर शायद ही किसी मंत्री या अध्यक्ष को इतना ज्ञान हो कि इनके मंदिर में कितनी प्रतिमाएं किस काल की हैं, प्रतिष्ठाचार्य कौन थे किस श्रावक ने प्रतिष्ठा कराई.आदि। इसी तरह पांडुलिपियों का हाल है। चुनाव के समय से सब बातें सामने आनी चाहिएं बाकायदे उनका रजिस्टर में उल्लेख हो । या केरल की भांति writer's guild जैसे कोआपरेटिव संस्थाएं बने और विद्वज्जन स्वयं अपने ही बल ऐसा प्रयोग करें ।
अंत में उन सभी मनीषी विद्वानों एवं म्युजियम उत्तराधिकारियों का हृदय से कृतज्ञ एवं आभारी हूं जिनके ग्रंथों लेखों आदि से इतनी सामग्री संकलित कर सका हूं तथा चित्रावली ढूंढ सका हूं। अभी कुछ संकलन मेरे पास और भी हैं। इस लेख में चित्रावली के कुछ चित्रों का वर्णन है कुछ का नहीं ।