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तीर्थंकर पार्श्वनाथ सातवें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ की है। इनकी मूर्तियों को भी सर्पयुक्त बनाने का प्रचलन रहा है।
उपरोक्त सभी बातें यह सिद्ध करती हैं कि नागों का प्रभाव न केवल भारत तक ही रहा बल्कि विश्व के कई देशों में भी रहा है।
आर्यो का उदय
आर्यों के मूल स्थान के बारे में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। कुछ के अनुसार ये मध्य एशिया के रहने वाले थे, जब. कि कुछ अन्य का मानना है कि ये भारत देश के ही मूल निवासी थे। कालान्तर में ये मध्य एशिया में विस्थापित हो गये। बाद में ये पुन: सिन्धु नदी को पार करके भारत में आये। ___ जो भी हो, इतना निश्चित है कि आर्यों ने भारत में पश्चिमोत्तर दिशा से प्रवेश किया। इन्होंने अनेकों युद्ध किये तथा शनैः शनै: गंगा नदी के तट तक फैल गये। आर्यों ने सिन्धु नदी तथा गंगा नदी के मध्य के क्षेत्र में अधिकांश भागों में अपने राज्य स्थापित कर लिए। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इस क्षेत्र से नाग जाति बिल्कुल. समाप्त हो गई थी। हां, इतना अवश्य है कि इस क्षेत्र में इनकी शक्ति बहुत कम हो गई थी। आर्य लोग इन्हें हीन भावना से देखते थे तथा स्वयं को इनसे श्रेष्ठ समझते थे।
जब नागों की शक्ति भारत में कम हो गई तो इन्होंने अपनी शक्ति सिन्धु के पश्चिमी क्षेत्रों में केन्द्रित की। रामायण से महाभारत तक के मध्य का समय आर्यों का उत्कर्ष काल था। महाभारत के युद्ध के पश्चात् आर्यों की शक्ति बहुत कम हो गई थी। महाभारत के उपरान्त उत्तर भारत में वैदिक क्षत्रियों के बारह राज्य थे - वत्स, कुरू, पांचाल, शूरसेन, कोसल, काशी, पूर्व विदेह, मगध, कलिंग, अवन्ति, महिण्मती और अश्यक । इनमें से कुरू, पांचाल, कोसल, विदेह और काशी प्राय: वेदानुयायी आर्य क्षत्रियों के थे। इनके अतिरिक्त जो अन्य राज्य पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में स्थित थे वे प्राय: श्रमणोपासक क्षत्रियों के थे।