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तीर्थकर पार्श्वनाथ २१. चामुण्डराय पुराण (१०वीं शताब्दी) २२. अंग्रजी में लार्ड पार्श्वनाथ - हरिसत्य भट्टाचार्य २३. आचार्य दमनन्दि कृत पुराणसार संग्रह में श्री पार्श्वनाथ चरितम
इत्यादि!
इसी प्रकार श्वेताम्बर सम्प्रदाय में भी कल्पसूत्र, पार्श्वनाथ चरित्र, पार्श्वनाथ काव्य, शत्रुञ्जय माहात्म्य, उत्तराध्ययन कृति आदि ग्रन्थ उपलब्ध हैं। उपरोक्त के अतिरिक्त दोनों सम्प्रदायों में अनेक स्तोत्र और पूजा ग्रंथ भगवान् पार्श्वनाथ पर प्राप्य हैं। दिगम्बर सम्प्रदाय में कुमुदचन्द्र कृत कल्याणमंदिर स्तोत्र, पद्मप्रभदेव कृत पार्श्वनाथ स्तोत्र, प्राकृत में चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र, पद्मनंदिकृत पार्श्वनाथ स्तोत्र, विद्यानन्दी स्वामीकृत पार्श्वनाथ स्तोत्र, पार्श्वनाथ अष्टक, कलिकुण्ड पार्श्वनाथ पूजा इत्यादि । उपलब्ध हैं।
उपर्युक्त जैन साहित्य में कहीं अंतर देखा गया है किन्तु इन सभी में केवल एक ही लक्ष्य परिचर्चित है जो विशुद्धि से संबंधित है। नाम और घटनाएं कुछ अंतर के साथ प्राप्त होती हैं जो हो सकता है श्रुति के कारण, स्तोकबुद्धि के कारण अथवा अन्य कारणों से प्रकट हुए। दिगम्बर जैन शास्त्रों में सामान्य अन्तर निम्न प्रकार पणे गो हैं। (कामता प्रसाद जैन, भगवान् पार्श्वनाथ, सूरत) १. श्री गुणभद्राचार्य, सकलकीर्ति, चन्द्रकीर्ति (१/११५-११७) और भूधरदास
(१-१०२) कृत ग्रन्थों में कमठ के भाई मरुभूति को उसकी खबर किसी राह चलते उसे पाने का उल्लेख नहीं है; किन्तु वादिराज सूरि के ग्रंथ
में (सर्ग श्लो. ६३-६४) में यह विशेषता है। २. श्री जिनसेन के 'पार्श्वभ्युदय काव्य' में पूर्वभवों का उल्लेख वर्तमान
रूप में है ३. अगाड़ी अरविन्द राजा के मुनि समागम का उल्लेख प्राय: सब में
मिलता है। किन्तु वादिराज सूरि के ग्रंथ में उन मुनिराज का नाम