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तीर्थंकर पार्श्वनाथ ___ जाहिर है कि साधना के प्रक्रम में मूर्तियों का निर्माण किया जाता होगा एवं मूर्तियों के चयन का आधार सम्बन्धित तीर्थंकर की लोकप्रियता एवं उसकी तात्विक मौलिकता रहता होगा। पूरे देश में लगभग १२०० पाषाणोत्कीर्ण मंदिर उपलब्ध हैं जिनमें ९०० बौद्ध, १०० हिन्दु तथा २०० जैन गुफा मंदिर हैं। यदि हम मध्यप्रदेश स्थित उदयगिरि की पूर्व दिशावर्ती बीसवीं गुफा पर नज़र डालें तो पाएँगें कि यहां तीर्थंकर पार्श्वनाथ की अतिभव्य मूर्ति विराजमान है। यद्यपि मूर्ति का कुछ भाग खण्डित हो गया है, तथापि उसका प्रशस्त नाग-फण अब भी उसकी कलाकृति को प्रकट कर रहा है। इस मूर्ति पर उत्कीर्ण पद्यात्मक संस्कृत लेख के अनुसार इसकी प्रतिष्ठा गुप्त संवत् १०६ में कार्तिक कृष्ण पंचमी का आचार्य भद्रान्वयी आचार्य गोशर्म मुनि के शिष्य शंकर द्वारा करायी गयी थी। . ___ महाराष्ट्र में भी तीर्थकर पार्श्वनाथ की लोकप्रियता के प्रमाण मिलते हैं। उस्मानाबाद के गुफा समूहों में पिछले भाग में एक देवालय है जिसमें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की अत्यन्त भव्य प्रतिमा विराजमान है। वर्जेस के मतानुसार ये गुफा-समूह ई.पू. ५००-६५० के बीच के हैं। इस गुफा-समूह के विषय में एक प्रचलित किंवदन्ती है कि महाराज करकण्ड ने तेरापुर के समीप पर्वत पर एक गुफा देखी थी। तदनन्तर, इस राजा ने अन्य गुफाएं बनवायीं एवं भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया। इस मूर्ति के सुन्दर रूप का वर्णन सुप्रसिद्ध अपभ्रंश कवि कनकामर मुनि ने अपने काव्य करकण्डचरिउ में किया है, जो ग्यारहवीं सदी की रचना है। करकण्ड का सन्दर्भ जैन एवं बौद्ध दोनों ही परम्पराओं में समान रूप से मिलता है एवं इन रचनाओं तथा स्थापत्य के आधार पर ये गुफाएं लगभग ई.पू. नवीं शती की है। ___ दक्षिण भारत में भी भगवान् पार्श्वनाथ आराध्य देव थे। इसका प्रमाण बादमी की गुफाएं हैं जिनका निर्माण काल सातवी प्यती का मध्य भाग है। माना जाता है कि राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष (आठवीं शती) ने राज्य का परित्याग कर जैन दीक्षा धारण की एवं इसी गुफा में निवास किया। इस गुफा के बरामदों में एक ओर भगवान् पार्श्वनाथ विराजमान हैं तो दूसरी