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अपभ्रंश भाषा के पार्श्वनाथचरित एक विमर्श
श्रीमति सरोज जैन*
अपभ्रंश भाषा में २४ तीर्थंकरों की स्तुति एवं धर्मोपदेश के वर्णनों के अतिरिक्त उनके जीवन चरित भी लिखे गये हैं । भगवान् पार्श्वनाथ के जीवन पर अपभ्रंश भाषा में अब तक ७-८ ग्रन्थों का पता चला है। उनमें से प्रकाशित बहुत कम हुएं हैं। इन सब अपभ्रंश के पार्श्वनाथ चरितों में उपलब्ध सामग्री कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है । प्रसतुत आलेख में निम्नांकित अपभ्रंश भाषा के पार्श्वनाथचरितों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया है, जो आगामी शोधकार्य के लिए उपयोगी हो सकता है
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१. पासणाहचरिउ (पद्मकीर्ति), • प्रकाशित, १०वीं शती २. पासणाहचरिउ (देवदत्त), अप्रकाशित, ११वीं शती ३. पांसणाहचरिउ (विबुधश्रीधर ), अप्रकाशित, १२वीं सदी
४. पासणाहचरिउ (देवचन्द्र ), अप्रकाशित, १५वीं सदी पासणाहचरिउ ( रइधु), अप्रकाशित, १५वीं सदी
६. . `पासणाहचरिउ (असवाल कवि), अप्रकाशित, १५वी सदी पासपुराण (तेजपाल), अप्रकाशित, १५वीं सदी
इन महत्वपूर्ण ग्रन्थों की पाण्डुलिपियां विभिन्न ग्रन्थ भण्डारों में अभी उपलब्ध हैं।' उनकी सुरक्षा एवं कम्प्यूटर प्रणाली से प्रतियां कराना समाज का प्रथम दायित्व है और इनका सम्पादन कर मूल्यांकन करना विद्वानों का . परम कर्तव्य है ।
* उदयपुर