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अपभ्रंश साहित्य में पार्श्वनाथ
१५३ भव में पुष्पदन्त आदि ने पार्श्व के जीव को अच्युत कल्प का इन्द्र और कमठ के जीक को पुष्पदन्त ने तमभ्रम नरक में, पद्मकीर्ति ने रौद्र नरक में और रइधु ने पंचम नरंक में जन्म लेने का उल्लेख किया। छठे भव में पार्श्वनाथ पुष्पदन्त के अनुसार वज्रवीर्य राजा और विजया रानी के वज्रबाहु चक्रवर्ती पुत्र थे। पद्मकीर्ति ने वज्रवीर्य और लक्ष्मीमति तथा रइधु ने वज्रवीर्य और विजया का पुत्र वज्रनाभ होना बतलाया है। कमठ के इस भव के जीव का नाम पुष्पदन्तानुसार भील कुरंगक और शेष कवियों के अनुसार शबर कुरंशक था। सातवें भव में पार्श्वनाथ के जीव को पुष्पदन्त ने मध्यम ग्रैवेयक का एवं पद्मकीर्ति तथा रइधु ने ग्रैवेयक का देव कहा है। पुष्पदन्त
और पद्मकीर्ति ने इस भव में कमठ के जीव को नरक जाने का उल्लेख किया जबकि रइधु ने अतितम नरक में जाना माना है। आठवें भव में पार्श्व को पुष्पदन्त ने गुणभद्र की तरह वज्रबाहु और प्रभंकरी का पुत्र आनन्द मण्डलेश्वर, पद्मकीर्ति ने कनकप्रभ चक्रवर्ती और रइधु ने आनन्द चक्रवर्ती कहा है। इस भव में कमठ के जीव को सिंह होना लिखा है। पुष्पदन्त इसके अपवाद हैं। नौवें भव में पार्श्वनाथ को पुष्पदन्त ने प्राणत कल्प का, पद्मकीर्ति ने वैजयंत का और रइधु ने. चौदहवें कल्प का देव कहा है जबकि कमठ के जीव को नरक गामी, पद्मकीर्ति ने रौद्र नरक और रइधु ने धूम प्रभ नरक. गामी बतलाया है। दसवें भव में कमठ को पुष्पदन्त ने महिपाल नामक राजा और पार्श्व का नाना कहा है। पद्मकीर्ति ने उसे तापस और रइधु ने कमठ कहा है।
पार्श्व के माता-पिता ___ भगवान् पार्श्वनाथ के माता-पिता के नाम के संबंध में आचार्यों में मतैक्य नहीं है। महाकवि पुष्पदन्त९ ने गुणभद्र की तरह पिता का नाम विश्वसेन और माता का नाम ब्राह्मी लिखा है। आ. पद्मकीर्ति ने उनके पिता का नाम हयसेन कह कर आ. यतिवृषभ का अनुकरण किया है।" किन्तु रइधु ने उनके पिता का नाम अश्वसेन लिखा है। उनकी माता को पद्मकीर्ति और रइधु ने न तो पुष्पदन्त की तरह ब्राहमी और न यतिवृषभ