________________
तीर्थंकर पार्श्वनाथ तथा नाग जाति
- डॉ. अनिल कुमार जैन'
___ तीर्थंकर पार्श्वनाथ ऐतिहासिक व्यक्ति थे । बौद्ध साहित्य से भी इनकी ऐतिहासिकता सिद्ध होती है। डॉ. जेकोबी तथा डॉ. हीरालाल जैन बौद्ध ग्रन्थों के आधार पर मानते हैं कि भगवान् महावीर से पूर्व भी श्रमण संस्कृति मौजूद थी। इस संस्कृति से जुड़े लोग निर्ग्रन्थ विचारधारा को मानते थे तथा पार्श्वनाथ के अनुयायी थे।
पार्श्वनाथ नाग वंशीय थे। प्राचीन बौद्ध अनुश्रुति में इनके पिता अश्वसेन का. 'असभ' नाम से उल्लेख हुआ है। महाभारत में भी अश्वसेन नामक एक प्रसिद्ध तत्कालीन नाग नरेश का उल्लेख मिलता है। पार्श्वनाथ के पिता उरग वंशीय थे जो कि नाग जाति की ही एक शाखा थी। कुछ लोगों का मत है कि भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर सर्प दिखाये जाने का एक कारण यह भी हैं कि ये नाग वंशीय थे। भगवान् पार्श्वनाथ से पूर्व नाग
जाति का आधिपत्य कहां-कहां था तथा इनकी संस्कृति तथा सभ्यता कैसी . . थी, यह जानने से पूर्व प्राचीन भारत की संस्कृति एवं सभ्यता पर विचार • कर लेना आवश्यक है।
..' प्राचीन भारत की सभ्यतायें • आर्यों ने भारत की संस्कृति को सर्वाधिक प्रभावित किया। लेकिन आर्यों के भारत में जमने से पूर्व यहां कई संस्कृतियां विकसित थीं। द्रविड, विद्याधर, नाग तथा सिंधु संस्कृतियां इनमें प्रमुख थीं। कुछ विद्वान सिंधु संस्कृति एवं वैदिक संस्कृति को एक मानते हैं। लेकिन सर जान मार्शल के अनुसार ये दोनों संस्कृतियां बिल्कुल भिन्न थीं। उनका कथन है कि “सिंधु
* अहमदाबाद