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तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान
मरदाणी-मर्दानी
शरमीणो-- शर्माला महलायत-महलों
शर्माशर्म–शर्माशर्मी मुकाबलों-मुकाबला
शानी-सानी, तुलना मुजरो-मुजरा
श्याबास--- शाबाश मुरदो-मुर्दा
सरद गरम-सर्द गर्म मे'नत-मेहनत
सरमिंदी--शरमिंदगी मैलां-महलों
सरमिंदी-शरमिंद: मोको-मौका
सलाही-सलाह मोज ---मौज
सलक-सुलक मोजां-मौजे.
सितारो-सितारा मोजीज-मुअजि जज
सीरणी-शीरनी रवाब-रौब
-सं. क्षीरिणी रसाकसी-रस्साकशी
सोदै री-सौदे की रोसनी, रोषणी-रोशनी
हकूमत- हुकूमत वगत-वक्त.
हजारां-हजारों वासते-वास्ते
हरकतां-हरकतें वैम-वहम
हरजानो-हर्जाना शरम- शर्म
हलकाई-हलकापन शरमाव-शर्माएं
हाजर-हाजिर शरमावो-शर्माओ
हुसियारी-होशियारी। इस प्रकार शब्दों को ग्रहण करने के अतिरिक्त मुहावरों और कहावतों का भी लोकभाषा से आदान करके तेरापंथी साहित्य ने राजस्थानी के शब्दभण्डार की श्रीवृद्धि की है। यहां मुहावरों और कहावतों के कुछ नमूने दिये जाते हैं। मुहावरे अपणा फिरका अपणी झंडी।। नित फाड़-फाड़ कपड़ो सींवै । अपण ही हाथ काट बैठी वाही डाली । निश दिन खाई खोदबो । आतां ठंडी हूगी।
पग-पग में गाडो अटकै । ऊंघ उडारो।
पर्वत-राई रो अन्तर। काग उड़ाबो।
पर पै कुल्हाड़ी बाही। काली करतूत ।
बड़ौड़े चरखै चढ्यो। खांडे री धार वहणो।
बाग-बाग होना। घेरो घालबो।
बुद्धि दौड़ाना।
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