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तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान
रत्न कथाकोश' अपनी इन्हीं सब विशेषताओं के कारण राजस्थानी की एक अमूल्य निधि है । धर्म, नीति और अध्यात्म की तो यह त्रिवेणी ही है, लोक रंजन के साथ-साथ लोक-मंगल का सुन्दर समन्वय इसमें हुआ है। जीवन में उच्चादर्शों को प्रतिष्ठित करने का यह स्तुस्य प्रयास है । अपनी संपुष्ट भाव भूमि की भाँति ही अपने साहित्यिक सौष्ठव के कारण भी यह स्पृहणीय बन गया है । इसके साथ ही इसका भाषागत वैशिष्ट्य भी अध्येताओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण रहेगा ।
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