Book Title: Terapanth ka Rajasthani ko Avadan
Author(s): Devnarayan Sharma, Others
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आचार्य भिक्षुकृत जम्बूचरित का सांस्कृतिक अध्ययन
१८७ वाले व्यक्ति को देवी मार देती है। एक जगह ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि जंगल में एक कुण्ड में स्नान करने से बन्दर सुन्दर मनुष्य और बन्दरी सुन्दर महिला के रूप में परिणत हो गयी ।१३
६. कला :-उस समय बहत्तर कलाओं का प्रशिक्षण दिया जाता था ऐसा उल्लेख भी मिलता है ।१४ स्वभावगत संस्कार :----
मनोविज्ञाव के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग संस्कार होते हैं । जम्बूकुमार चरित्त में भी ऐसा ही उल्लेख मिलता है।
(क) सज्जन पुरुष स्वभाव : माता-पिता के आग्रह के कारण जम्बू विवाह करने को उद्यत हो जाता है, लेकिन वह दूत के माध्यम से आठों कन्याओं और उनके माता-पिता के पास सन्देश भेज देता है कि मैंने आजीवन शीलव्रत को स्वीकार कर लिया है। इसलिए आप चिंतन पूर्वक निर्णय लें क्योंकि मैं किसी को धोखा नहीं देना चाहता।"
(ख) दुर्जन पुरुष स्वभाव :---राजकुमार प्रभव गलत संस्कारों के कारण चौर्यवृत्ति में संलग्न होने पर ५०० चोरों के साथ जंबू के घर चोरी करने के लिए आता है। वे अपनी तालोट्रघाटिनी और अवश्वापिनी विद्या के प्रयोग से ९९ करोड़ मुद्राओं को गठरियों में बांध लेते हैं ।
(ग) सज्जन स्त्री स्वभाव :-~-आचार्य भिक्षु ने नारी के उत्कर्ष स्वभाव को भी उजागर किया है। उदाहरण के तौर पर भावदेव ----मुनि मानवीय दुर्बलता के कारण संयम से विचलित हो जाते हैं तो नागला पूरे साहस के साथ अपने पति मुनि को सन्मार्ग दिखाती है। मुनि संयम में पुनः स्थिर होकर सिंहवृत्ति के साथ संयम का पालन करते हैं । जम्बूकुमार की आठ पत्नियों का स्वभाव भी उत्कृष्टता का द्योतक है कि जम्बूकुमार यदि शील का पालन करता है, संयम लेता है तो हम भी उसी पथ का अनुशरण करेंगी।
(घ) दुर्जन स्त्री स्वभाव :-कपिला आदि रानियों तथा कुबेरसेना आदि वेश्याओं के दुश्चरित्र का भी वर्णन मिलता है ।१९।।
(ङ) साधु स्वभाव :-सुधर्मास्वामी के स्वभाव को उल्लिखित करते हुए कहा गया है कि उन्होंने क्रोध-मान-माया-लोभ पर विजय प्राप्त कर ली। परिषह उत्पन्न होने पर क्षोभ -रहित, निद्राजयी आदि उनके अनेक गुणों का वर्णन मिलता हैं
गुण घणाईज छे त्यां मांय, ते एकण जीभ सुं केम कहवाय । आर्यक्षेत्र में करे उग्र बिहार, भव जीवां रा तारण हार ।।२०
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