Book Title: Terapanth ka Rajasthani ko Avadan
Author(s): Devnarayan Sharma, Others
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 201
________________ तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान आया तब माँ ने स्वप्न में आकाश से उतरते हुए जम्बू वृक्ष को देखा। इस स्वप्न के आधार पर बच्चे का नाम जम्बूकुमार रखा गया ।' उस समय भी जन्म संस्कार जन्म महोत्सव के रूप में धूम-धाम से मनाया जाता था। २. विवाह संस्कार :-विवाह के दिन जम्बू को पट्ट पर बैठाकर सुगन्धित पदार्थों से शरीर की मालिश कर स्नान कराने तथा बहुमूल्य वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित कर विशाल बारात के साथ विवाह करने का उल्लेख है। वहाँ तोरण-बाँधना, आरती करना, चंवरी में बैठना और मातापिता द्वारा हथलेवा दान करने का भी वर्णन है।४ (i) अन्तर्जातीय विवाह :-विद्या प्राप्ति के लिए ब्राह्मण का चण्डालिणी के साथ विवाह करना अन्तर्जातीय विवाह का द्योतक है। (ii) बहुपत्नीप्रथा :--शिवकुमार नामक राजकुमार की पाँच सौ कन्याओं के साथ विवाह होने का उल्लेख है। जम्बूकुमार का भी आठ श्रेष्ठी कन्याओं के साथ परिणय का उल्लेख मिलता है । ३. दहेजप्रथा :-दहेज के बारे में भी विस्तृत वर्णन मिलता है, उदाहरण के तौर पर "निनाण कोड रो सोनईया दिया ए, बले रूपईया जाण । दीधा घणा हर्ष सूए, मन मांहें उद्यम आण । पुत्री ने आपिया ए। ४. वैदिक संस्कारों का प्रभाव :-प्रभव जम्बू से कहता है पुत्र होने के बाद संयम ग्रहण करना, क्योंकि पुत्र के विना सद्गति नहीं होती। जैसा कि कहा गया है "अपुत्रिया ने सद्गति नहीं, कह्यो पुराण मझार । तिणसू एक पुत्र हुवा पछे, छोड दीजे संसार ।।९ (i) दीक्षा संस्कार --जम्बूकुमार के दीक्षा महोत्सव का उल्लेख करते हुए कहा गया है “ए पाँच सो अठाबीसां तणा, किया दिख्या महोच्छव पूर । धन खरचे तिहां अति घणो, बाजंत्र बाजे रह्या छे तूर ॥ (ii) मृत्यु संस्कार :- मृत्यु संस्कार का वर्णन करते हुए कहा है"पुत्रां बिना पिंड कुण सारसी, पाणी कुण देसी लार । श्राद्ध करसी कुण तांहरो, फल कुण घाले गंगा मझार ॥"" ५. लोकविश्वास :-बसन्तपुर नगर में गलती करने वाले व्यक्ति को देवी के मन्दिर में ले जाया जाता था और यह विश्वास था कि गलती करने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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