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तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान
शील रहित मनुष्य जन्म हार जाते हैं। शीलवन्तों का जन्म सुधर जाता है । यहां ऐसे अनेक सूक्तियों का विनियोजन हुआ है। इस प्रकार यह सुदर्शनचरित एक उत्तम काव्य है ।
सन्दर्भ : १ काव्यप्रकाश १.३ २. काव्यमीमांसा : चतुर्थ अध्याय पृ० २७ ३. शिशुपालवध महाकाव्य ४.१७ ४. काव्यप्रकाश १.१ ५. तत्रैव १.२ ६. भिक्ष ग्रन्थरत्नाकार, द्वितीय खण्ड, रत्न १९ ७. सुदर्शन चरित-प्रारंभिक भाग पृ० ६३३ गाथा २-४ ८. तत्रैव १.१६ ९. तत्रैव १६.२
१९. , २१.१८ १०. ,, ढाल ३४
२०. ,, २१.२३ ११. ,, १.१०
२१. , ढा० ३७ दुहा १-२ १२. ,, प्रथम ढाल दुहा ५-६ २२. ,, १६ दुहा ७ १३. सुदर्शन चरित
२३. ,, १७.१ १४. ,, १४.४-५
२४. , १९ दुहा १ १५. ,, ढा० १६, दुहा ६-७ २५. ,, ३.१ १६. ,, २०
२६. ,, ३ दुहा १.२ १७. ,, २०
२७. ,, १.१ १८. ,, २.१८
२८. ,, १.३
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