Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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श्री गुरुदेवाय नमः
55 समर्पण
साधना के महर्षि, ज्ञान के कुबेर । सहृदयता की निधि, सद्गुण के भंडार ।। जिनकी सद्गुण सुवास से, जन-जन है आलोकित । जिनके प्रवचन सदा वीर वाणी से गूंजित । ।
श्रमणसंघ के सलाहकार मंत्री और उपप्रवर्तक । इतिहासज्ञ बहुभाषाविद् जैन धर्म के संवर्द्धक । । श्रद्धा-भाव के चन्दन से चर्चित अरु वन्दित । श्री सुमनमुनि के कर-कमलों में ग्रन्थार्पित । । स्वस्थ और प्रसन्न रह प्रशान्त करे जन-मन का ताप । मोक्षमार्ग के हे पथिक! विश्व का हरो त्रिविध संताप । । दीक्षा की स्वर्ण जयन्ति पर स्वीकारो अभिनन्दन । ग्रन्थार्पण की सुवेला में पुलकित है तन-मन । ।
भद्रेश जैन
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