Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 25
________________ सिरिवालचरिउ श्रीपाल रास श्रीपाल चरित्र (पं. परिमल्ल) (५) पाँच वर्षकी आयु में श्रीपालका पिता मर (५) पिता अरिदमनकी मृत्युके बाद, श्रीपाल जाता है। उसे बाल राजा घोषित किया जाता है, गद्दीपर बैठता है, परन्तु कोढ़ हो जानेसे अपने ७०० परन्तु चाचा अजितसेन माँ-बेटेको मरवानेका कुचक्र अंगरक्षकोंके साथ स्वतः राज छोड़ देता है। रचता है। दोनों भागकर कोढ़ियोंकी शरण में जाते हैं। वहीं श्रीपालको कोढ़ होता है। ( ६ ) श्रीपालकी माँका नाम कमलप्रभा है ।। (६) श्रीपालकी माँका नाम कुन्दप्रभा है। (७) वत्सनगरमें धातूवादीसे श्रीपालकी भेंट ७) विद्या सिद्ध करते हुए विद्याधरसे भेंट होती है। होती है। (८) धवलसेठ चंगी न चुकानेपर बब्बरकोट (८) रास्ते में लाखचोर ( जलदस्य ) सेठपर बन्दरगाहपर पकड़ा जाता है । श्रीपाल उसे छुड़ाता है, हमला कर उसे पकड़ लेते हैं। श्रीपाल उन्हें हराता फलस्वरूप आधे जहाज सेठसे ले लेता है। बब्बरकोटका है। जलदस्यु उसे रत्नोंसे भरे ७ जहाज देते हैं। राजा महाकाल उसे अपनी कन्या मदनसेना ब्याह देता है। यहींसे जाकर मदनमंजूषा ( रत्नसंचयपुर ) से विवाह करता है। (९) धवलसेठके जहाजपर वह १०० दीनार (९) दसवाँ हिस्सा देनेकी शर्तपर श्रीपाल प्रतिमाह किराया देकर बैठता है। धवलसेठके साथ जाता है। जहाज हंस द्वीप पहुँचते हैं । वहाँ वह रत्नमंजूषासे विवाह करता है । (१०) धवलसेठ मचान बनाकर श्रीपालको (१०) मरजियाको एक लाख रुपयेकी घूस बुलाकर धोखेसे गिरा देता है। देकर रस्सी कटवा देता है और श्रीपाल मस्तूलसे गिर पड़ता है। (११) तैरकर कुमार कोंकण द्वीप पहुँचता है। (११) तैरकर कुंकुम द्वीप पहुँचता है और वहाँ मदनमंजरीसे विवाह कर घरजवाई बनकर रहता गुणमालासे विवाह करता है । (१२ ) भण्डाफोड़ होनेपर धवलसेठ श्रीपालको (१२ ) गोहवाली घटना नहीं है । श्रीपाल मारनेकी नीयतसे गोहके सहारे दीवालपर चढ़ता है सेठको शूलीपर चढ़नेसे बचता है और आधा धन ले और कूदकर मर जाता है। लेता है। (१३ ) वह कुण्डनपुरकी गुणमाला, कंचनपुरकी (१३) चित्ररेखा आदि ८००० कन्याओंसे त्रैलोक्यसुन्दरी, कोल्लागपुरकी जयसुन्दरी, महासेन विवाह करता है । राजाकी तिलकसुन्दरीसे विवाह करता है। कुल आठ कन्याओंसे विवाह करता है। ( १४ ) श्रीपालके चाचा अजितसेन ही युद्धमें (१४ ) जैन मुनि चम्पापुर आते हैं और पूर्वजन्म हारकर दीक्षा ग्रहण करते हैं। अवधिज्ञान होनेपर सुनाते हैं । चम्पापुरी आते हैं और पूर्वभवकी कथा सुनाते हैं। - (१५) श्रीपाल नौवें जन्ममें मोक्ष प्राप्त करेगा। (१५) उसी जन्ममें मोक्ष प्राप्त कर लिया। इस प्रकार दोनों परम्पराओं ( दिगम्बर-श्वेताम्बर ) की कथाओंके तुलनात्मक अध्ययनसे निम्नलिखित समान निष्कर्ष निकलते हैं ( १ ) श्रीपाल चम्पापुरका राजपुत्र है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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