Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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७४
सिरिवालचरिउ
[२. २३.१
२३ आयण्णिवि मंतिहिं वयण-गइ पहु वीरदमण-सिरिवाल वइ । 'अभिडिय सुहड णं दोणि सीह णं मत्ता मयगल रसिय-जीह । णं सुव्वउ सत्ति-कुमारु सारि
णं भिडिय चपळूउ तल-पहारि । णं रावण-लक्खण सुहड-मल्ल गंभीम-दसासण धरिय-सल्ल । णं भरहु राउ बाहुबलि कुमार णं जिणवर णं रइणाहु सवरु। णं अज्जुणु कण्णु महापयंडु अभिडिय बेवि णं मत्त-संडु। सुग्गीउ वि विड-सुग्गीउ जेम हणुवहो अक्खय जिस भिडिय तेम । जिम भीमसेणु भिडियउ कम्मीरु तिम वीरदमणु सिरिवालु वीरु । घत्ता-दोण्णि वि जिह मयगल समरि समुज्जल एकमेक्क हय मोग्गरई ।
पुणु असिवर-धारहि णिसिय पहारहिँ मुचंति परोप्परु तीमरई ।।२३।।
२४
कउतले कुंतह लाई कटारिय एवमाइ वहु पहरण-चूरिय । कर अपफालिवि विण्णिवि धाइय। मल्ल-जुज्झ पुणु समरि पराइय। ठोक्कर-करण-चरण-संधाण पइसहिँ खलहिं बलहिं विण्णाणई। वीरदमण सिरिवालें हक्किउ मरहि वप्प कहि जाहिं ससंकिउ । करणु देवि गले लायउ ठोक्कर करु करेण चूरिवि किउ सक्करु । साहुंकारु कियउ सुर-विंदहिँ कुसुम-माल घालिय सुरसुंदहिं । वीरदमणु बंधिवि रण-मुक्कउ खम करि सुव तुहुँ अम्ह गुरुक्कउ । पालि पुहवि मणि-कणय-गुरुक्कउ वीरदमणु बोलइ वियसंतउ । हउं अवराहिय दिक्खा जुत्तउ तुझि जि रज्जु पुत्त इउ उत्तउ । घत्ता-कणय तार-वर-कलसहिं जणमण-ह रिसहिं सिरु कुवरहँ अहिसिंचिउ । .. चामीयर-घडियउ रयहिं जडियउ पट्टबंधु सिरिवाले किउ ॥२४॥
२५
तवयरणु भणिवि गउ वीरदमणु सिरिवालु पइट्ठउ णियय-भवणु । घरि-घरि मोत्तिये रंगावलीउ उम्मे तोरण-मयगल-गुलीउँ । पुणु अइहव-मंगल-चारु गीउ वंभणहिं वेय-उच्चारु कीउ । वेयालिय-गण सलहति ताहि . णारियणु णडइ वहु-उच्छवेहि। सिगिरिय-छत्तहिं-चामर धरेहिँ सामंत-मंति-साह-णियारेहिं । से विज्जमाणु सिरिवालु तहिँ तहि अंगदेसु चंपापुरिहिं । पट्ट महाशवि मयणासुंदरि अट्ठ-सहस-अंतेउर-उप्परि । सत्तंगरज भुंजइ सुहेण
पय पोसिय चारिउ-वण्ण तेण । पहिलारउ साहिउ धम्म-तित्थु पुणु अत्थु कामु मोक्खवि पसत्थु । २३.१. ग अबिभडियरहं। २. ग रणि अभीह । ३. ग संति । ४. गणं भिडिउ वापुलउ तल पहारि ।
५. ग समरु । ६. ग कमारु । ७. ग हणु। २४. १. ग क्कोंतल कोंतल तय कटारिय। २. ग संदाणइं । ३. ग दिक्खइं। २५. १. ग मुत्तिय रंगाबलियउ । २. क गुडीउ । ३. ग चमरएहिं । ४. ग तहिं पट्ट मयणसुंदरि सिरीय।
५. ग जा अट्टसहस मज्झहं गरीय ।
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