Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 173
________________ संख्या एकल्लु २।१४ एक्केण २।३,९ एक्कहि ११३२ एयारासे १११७ [क] कोडिय १।१८ क्खडतीस ११५ [छ ] छजणु १११३ छट्ठी २०११ छट्ट १११३ छहं १।१३,७ छठ्ठउ २०१२ छत्तीस १७ छत्तीसउ १२२ अट्ठहं २।३४ अट्ठसहस २०१९,२५,३४ अट्ठसय २१३५ अट्ठ-सह-सउ २०१५ अट्ठहमि २।१२ अट्ठम १।१७,१७ अठसठि १११८,१८ अट्ठमि २।३१,३१ अट्ठ १।१७,१७,१७,२।३२ अट्ठोत्तरु २।३१ अट्ठारह १७,१३,३० अट्ठाणवइ ११७ अट्ठमी २।११ अट्ठाई १०२९ अडदह १०१३ [ आ] आठ्ठहु ११११,२०११ [इ] इक १।१७,३४ [उ] उभे २०२५ उभय २।२२,२२ उभउ ११४, १२५ उब्भउ ११३९ [ए] एक्क १११७,२।३,३,३,२१ एक्कु १२२२, २१३,१४, २१८, ९,१२ एक्को २१०,१० एक १११७,२१६ [] ट्ठरह-लक्ख २०२० [ण] णवमि १११७ दोउ श२७ दोइ ११२१ दोण्णिय २।२२,११११ दोण्णिवि १।१४,१८,२।२२ दोणि २।१५,२३,२३ [प] पंच २१३३,३५. पंचमी २०११ पंचह १।२५ पणतीसक्खर ११४० [ल] लक्खइं १११८ लाक्खु १२७ लाख ११३० । [व] वहत्तरि ११७ वारह ११२१,३७,२।३२,२।३२, ३२,३२,३४,३५ वाणवइ ११४,२।२० वारह लक्ख २१३५ वारह सहस २।३५ वारह-वरिसहं २।१४ वतीस ११२५ विण्ण २।९ विउ ११३०,३५, २।२३ विय २।२४,२६ विवु २०३३ विण्णिवि १११५,२१,२५,२।५, ८,२४,३० वे ११११,१२, २।१२,२५ वेवि १६१५,१५,२०६ वोवि ११४, २१२३ [द] दस सहस्र १११७ दइसइ ११६ दइहउं २०१२ दह-लक्ख ११४,१७ दस-पंच २।१ दह-सहस १२२६ दस सहसहि ११२७ दुए २०१६ दुई ११४४,४४,४४ दुइजी २८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184