Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 171
________________ १०८ सिरिवालचरित [] ठकु ११४१ ठक्क २१२२ [ण] ण २।१२,१२,१२,१४, २०१७, १८,२२,२८,३१ णवि १११५,३७,३७, ११३८, ३९, २१६, २।१०,१४, जं ११८,११,१५,१६,२१, २।१,५,६,७,१२,१६ जइ ११२१,२२,२२,२२,२२, २।१,१४,१६,१७,२०, जहिं २।२,५,१९ जविहिय ११४७ जव ११३१, २०१२ जह १।२६, २०१७,१ जणु १३१३,२८, ३८,४६, २११,१,२,९,२,२ जहा २१८ जाम ११४६,२६, २।१,१२,२८ जा ११९,१२,४६,४७, २।९, २१,१७,३०, जाउ १११७, २।५,६,१२, २।१२,२८,३१, जाहि ११२१,३१,३३, २०१९, १९,२४, जावहि ११३८,४४, २०१८ जि १११३,२६,२९,३२, २।१०, ३४, ३४ जिम १११३,१३,१४,१४, १११४,१४,४०,४५ जिह ३,३,५,७,१९,२८ २।३,१८,२३, जीण ११२२ जु ११९,९,९,१३,३२,४३,४४. २१२,१५,१५,१९,३० जुत्तु २।५,७,८ जी १६३६ जेम ११६,८,१०,१५,२६, २।१०,१२,१२, २३, जेत्तहि १७, २११, १५, जे-काल १११ जेमहि १०३ णत ११३,१३,२७,२७, णवर २।९,९ णइ ११११ णउ १११६,३७,३८,३९, २।६, १०,१६ णवि श३१ णाइ १।१७, २०१६ णावइ १४६ णाइउ २।९ णिक्क २०१३ णिरु १।१५,१५,१६, १११३,२२ णित्तु ११३० णिरुत्तु २२२,८, ११२१ णिमित्ता ११५ णु १११९,२७,४१, २०१२ [त] तिम २०५३ तुरंउ २०१३ [प] पडियउ २४० पच्छाण ११३७ पण २।११ पर ११३३, २०७,९ परंपर २७ परोप्परु ११२७ पाछिउ ११२२ पार ११२२ पाछ २।२ पासु १७,७,६, २।३१ पास ११,१,१,७, २१४,१२, १३,१ पासि २१,१ पाछे ११४५ पुणु १।१,२,७,८,१९, २।१४, १८, २२, ३२ ( दस से अधिक बार) पुणि १११९ पुण १२६ पुष १११०, २।४ पुरउ १।१५, २।४ [फ] फुणि १७ फुडु १।११ फूडु १।३७ फेरि १११७ [य] [भ] भीतरि २१२ भीतर ११३३,३३ थोरउ २।१२ [द] दइ १।१७,२४,३७,४६ दुविहें २।२६ [ध] धिय १३९ [म] मणि ११४६ म १।१८,४३,४४,४४, २१६, १२,१७ मा ११९,२४,३७,३९, २१७ झत्ति २०१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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