Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 170
________________ अव्यय इय ११९,११,१२,३९, २२७, १०,२।१०,१२,१२,१२, [उ] [अ] अव ११२९,४४, २०२२ अहवा १११५ अग्गई ११९,१३,३०, २०१४ अंत २१७,३२ अहि २०२६,२७ अहणिसु १।३१, २।३२ अवरु २१८, १४, ३६, ८, - १११२, २९ अंतरि ११७ अवरई २।११,१३,२८ अइ १।३,१४,१५,१५,१९,३३, २२६,८,१५,१९,२०,२८, अद्ध-रत्ति २०१२ अज्जवि ११४७ अहो ११४४ अरु ११० आपुणु १।११ आयई १२४४ आसण्ण २१२६ आपणी २०११ आपु-आपु १३२५ आइयाइं २०२२ आमु २१७,१४ उल ११३,२८ उद्ध ११४५ उहु ११३८ उण ११३९ उवरि १२२७, २०३५ उपरा-उपरि १२८ उप्परि २।२५ उवरू श२७ [ए] एयहो १११३ एयहि ११२० एउ ११६,२१,२५, २।३ एसहु २।१७ एव ११५,१४,१८, २।१२,३२, (सर्वनाम अव्यय) [क] कलियहि २।३१ कहि ११४३ कमेण १।१७ कारणु १११६ कि (प्र.वा.) १४,१३,१७,२९, ४४,४०, २।२,४,४,१४, २०, २९, किय (प्र. वा.) १।११,११,२६, २।१७,१७ किर १।१०,१४,४४, २१५, १२,१८ किउ ११२५,२६, २।२,७, २।१२,१५,१८,२४,२४ की ११११, २।४,९, २०१४ कुवा २०१२ केवल ११२२ [ख] खणेण २०१२ खणु १।३३, २०१८ खलु १।१५ [घ] घोर १।१८,४०,४१, २०३६ [च] चिरु २।३, २९ [ज] जइ-बइ १।४६ . जवण ११४२,४२ जहि-जहि १११८, २०३६ [इ] इहि १।१३, २०२८ इम १।१५,३४,३५,२०,४३, २।१४,१४ इउ ११४३ इत्र २।१४,१४ इत्थतरि २१३४ एम ११८,९,९,२०,२३,३३, २१४,१६,१६,३२,३५ एहि २।३१ एत्थु २०१२ एवि २०११ एत्तहि ॥३३,३५,४२,४५ २११,२,३० एवमाइ १४५, २।२४ एकमेक्क २।२३ एकम्मकि १९ एय ११३०, २।३७, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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