Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

Previous | Next

Page 161
________________ ९८. सिरिवालचरिउ दिण्णहं १११५ दिण्णई १११७,१७,२।९,२।१० दिणंति १११७ दीसइ १११३, २।१९, २।२९, २९,३० देखइ २११ देख २७ देमि ११८, २१ दोहिमि ११८ दोहिमि १११८ दीसहि १११३,१३ दीज्जहि १२६ दिवावहि २१३२ देखिवउ ११९ देइ १२२,९,११,१३; १११५, १११८, ११६, २।२, २।२ देवखण उं २२ पुज्जइ २।३३ पयासइ २।३५ पावसइ २।३६ पाल २।२१, ३० पालइ २।२८, ११३ पायहि २।३० पाव १।११,२५,३९ २।३२,३२ पाविय १११५,४३, २२६ पाल १।१७,१९,२० १२१७,१९ पावइ ११४,५,४१ पीडइ ११४१ पीटती २।४ पीयंति २।४ भणंतई ११३८ भण्णइ ११४६ भागि २।१६ भावइ ११८,११, ११४१,४६ भासहि १।११, २।३१ भातिउ १११४ भागहि १८ भासहं ११३३ भासइ २।३० भावेसइ ११ [म] पिज्जइ [ध] धरइ ११११ धोवहि २०३१ [न] निकंदइ १११७ [प] पयट्टइ २।१ पयासहि २।४ परणेसइ २९ पवालहि १२२९ पभणई २।५, २१५ परेइ १।३१ पभणेइ २।३,३ पयंपमि ॥२६ परिणइ ११३२ परसेवइ ११३३ पयट्टहि १४५ पलोवइ ११३९,३९ परणहि ११३६, २०१० पुज्जेहि २०३२ पूजहि २।३२,३२ पूजइ १।१७,१७,१७,१७ पूजितु १।१७ छहि २०२,४ पुच्छइ २।१ पुंछइ ११२,२०,२०; २।५,२७, ३१ पुकारि १११५ पुण्णिय ११४३ पुज्जइ २०१८ पुछइ २।३१ पेछमि २४ [फ] फलीय १३१७ फिहइ १।१० फिट्टइ ११६ फुरइ १७,८,२६ फेडमि १११६ फेडइ ११३२,३२ [ब] बोलि २०१६ [भ] भणावइ ११४४ भरियइं १३० मरति ११४२ मरहि २।२४ मरु-मरु १२७ मरावइ २७ मारु २८ मारहु २॥३, २२७ मा-मारि २७ मारइ १११५ मारंति ११२७ मारहो १२२ मारउ ११४७ मारि-मारि १११५ मारिज्जइ १११५ मारिज्जतउ १११९ मरु १११७ मेली २।२० मेल्लिय ११४२ मेटहि २०२० मेलहि २।२९ मेटइ २।४, १९ मेलइ ११४०, १११० मिलइ ११४५ मिलहि २।२ मोहइ १३१२, ११४६ मुय ११४२ मुंच १२३ मूसइ ११४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184