Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
सामान्य भूत
[अ] अप्पालिय १११८,३६ अक्खिय ११६ अणंदिउ १२३४ अतीतउ १४३ अवहिय ११२१ अहिणंदउ १२९ अवलोइय ११४, २।२ अवसियउ २०१५ अन्भिडिय २।२३,२३,२३ अप्पेक्खिउ २०३० अभग्गउ २।२१, २०२८ अक्खियउ २।२१, १११२, २।१,
२।२ अगणिय २६ अणुरंजिउ १११८ अ-भडिउ १२७ अलियउ ११४३ अप्पिय २०१७
आरज्झिउ २१४,२।४ आवद्धउ ११३४ आवज्जिउ ११३५ आएसिउ १११२ आउलिय ११४५ आसतउ ११३८,३९ आलिंगिउ ११३७ आसत्तिय १।२४,२१ आरत्तिउ १२५ आराहिउ १२२६ आएसिय १२५ आलविउ ११५ आइयउ ११३५, २।१२, २।१३,
उछलिउ १२४० उछलिय श२ उग्घाडिउ २०१४ उम्माहिउ ११३८ उकिट्ठउ ११२७ उज्जोयउ १२१९ उत्तारिय २१३६ उवएसिउ २०३० उम्मोहियउ २।२ उपरोहिय ११११ उच्छलियउ ११४० उववासेवउ २०३१ उवहासिउ २०१६ उट्टहाई १३१७ उक्किट्ठउ १११३
१३
[क]
आसढउ २।२२,२१,१८ आए २०१९ आऊ २१११, २०११ आउ ११४४, १५, २।१९,
२।२०,२११४,२६,२,२,
७,२।१ आणिउ १२६
इच्छिय १८, १।९, १।२०,
२।३२ इट्ठिय १२
[आ] आरहिउ ११२६ आयउ ११२,३६,३७,४७,
११४५,४७,४६,४७, २।३६,४,१,८,११,
२।१६,१,१ आइय ११४५,१५, २।१, २।५,
२।२६ आणिय १२२९, २९ आहासियउ २।३२ आरंभिउ २१२ आरंभियउ २।२ आलिंगिय २।७, २०१४
कहियउ २।२९, २।१४, २०१७ कराविय २।१९ कारिउ २०१६ कामिउ ११४४ किण्णउ ११३ कीय ११४४ कीस श२३ कीयउ ११२८ कुप्पियं १२३ कुचिलउ ११३९ कोकविय २२ कोपिउ ११९, २१५,१९ कोपिय ११४३
[ख] खचिय २०१७ खद्धउ ११२७, २०१२
[उ]
उतु २।३, २०१८ उट्ठिय १११५ उट्ठिउ २०११ उत्तउ १२८,१७,३२,४६, २।५,
२।२४ उच्छलिउ १४६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184