Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 162
________________ शब्दावलो मुवति २।२३ मुच्चइ २।३४ मुणहि २६ मुच्छहि २२२ मुणइ १।३१, १७,७,११६ मुणिहि ११५ मुणेइ ११७ मुवइ १६४१ मुक्कमि ११२३ [ ] रमंति ११५ रमण १।२६ रसंत १२६, २०१२ रक्खे ११४२ रच्चाइ ११३८ रक्खहिं श११,३४ रसंति २।२२ रसिय २।२३ रक्खहु ११४४,४५ रसइ ११४,७,१५,३१ रुच्चइ १६ रुवंती ११४२,४२ रुवहि ११४३ रोलहि २०२९ रोवइ ११४२,१४ रोवहि ११४३, २।२ रोपहि ११९ रोवंति १११४ लवमि ११३३ लवंति लईयउ ११३६ ललिहहि २।३१ लेहि १४१७,१७,१९; २०१८ लेइ १११९, २१२, २०१२ लेविण १।१६,२५,३०; २१६,२० लेसमि २।२९ लेसइ ११४३ लेखमि १२४ लद्धे २१६ सइय १३१३,१६; २१३३ लहइ १११ सवइ २।४ लाइ ११२८ लवहि २।१८ लावति १७ लावइ ११३८ लायंतहं २०२२ लिमहि १३१७ लिंतु १।१६,४२ लिहहि १।१७, १७ लिज्जइ ११३०, २।४ लिहियहि ११७ लोलहि ११३७ लिहाइ २।३ वंदय २६ वंदइ १।२३,३२ वहइ ११४१,३,३ वसइ ११४६,५,५ २।२८ वज्जहि १।२८ वज्जइ १११४ वइसि ११९ वसहि २।११,३,४ वलइ ११३८ वलहि २।२४ विणोयहि २।३२ विफरइ १६ विभासइ १४१ विणासइ ११४१ विवारहि ११४३ विसारहो १।२२ वियारहि १।२१ विहडावण ११४३ विटिहि १११५ विलाइ ११४१ विहाइ ११४१ वीचलइ १२३ विछोडइ १२९ विहसइ ११३८ विलसइ १।१४ विजाणहि २०१० वोलइ २,४,७,२४ वोल्लइ ११८ वोल्लिजइ ११३३ वुच्चइ २।१२, २०२२ वुज्झइ १७ वुलावइ ११८,१२,१२,४४ वीसरइ १।१५,२२,२२ वीसरह ११२२,२२, ११२२,२२ बीसरहु ११२२ वीससहि १।२४,२४, ११२४,२४ वियारी १२१७ विग्गहि ११३१ विसुणि ११३६ [व] [ल] लग्गउ १।११,११,२८,३४ १२४६, २०६ लवइ २।४ लसइ ११२९ लहेसहि २।३६ लग्गइ ११३०,३८ लग्गइं ११३०, २०१ लब्भइ १४१ लग्गय ११४२ वट्टइ १६६ वइट्ठहि २०१२ वज्जरेहि ११४० वंदेसहि २०३६ वज्जिज्जइ २।२७ वारसि ११७ वारह १४ वालउ ११३३ वायंतइ ११२९ वट्ठइ ११२०,३३ वज्झहो २१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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