Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

Previous | Next

Page 159
________________ [ अ ] अच्छिय २९ अक्खहु १४६ अच्छमि ११४२ अच्छहि १११, २७, ७ अछि १।१५ अंजहि २४ अत्थि ११९, ३३, २०१०, २०१६ अत्थिय २।१६ अच्छइ १।२७,४७, २१४, ४, ८, १२ अच्छहि १०७, ३७, २।१९,२०, ३१ अक्खमि ११, २१, २२७, २७ अत्थु २२५, ३५ अक्खर २।१५ अछइ १।१९, २०, ४४, २१५, १२, १८, ९ अवलेहि ११७ अछिउ ११८ अफहि २०१ अवलोयहि १३४४ अछिउ १।२२ अक्खहि १२० अवलोवइ ११३१ [ आ ] आवहि १।२५ आवेसइ २११४ Jain Education International आपणहि १।१५ आहि १।१०, १२४ आराहि १।१७ आलहि २।१९ आय २१, ३० क्रिया आवज्जइ १।३० आगच्छमि १।२३ आसंघइ १९४६ आराहहि १।१७ आरंभहि १।१७ आसि १।१५ आवइ ११४, ११, ११, ११२,४० २१, १३२, १८, २।१४ आलवहि २४ [इ] इच्छइ १।१२ [ 3 ] उच्च १४२ उघज्जइ १४१ उच्चारइ १।४१ उघाडइ १।३४ उलाइ १।१५ उछवहि २२५ उद्धरहि २।३१ उहि २०१४ मिज्जहि १४६ [ ए ] एसरूरे ११४४ एसरइ १।४१ एसरु ११४४ एलग्गइ २।१ [क] करावहि २।३३ करिज्जइ २३२, २०१७, २।१७, २।३३ For Private & Personal Use Only कहिहह २०१७ कल-मलइ ११३८ करउ २।१४, १६, १७ कहाय १।१७ कहउं १।२,३९ करिय १।३४ किज्जइ २०१६, १७, ३२, २३२, १।१७,३० किज्जे १।१९ किहु १९ कीलाइ २०७ कीलहि १।३३ कोकइ २०११ कुहि १४४ [ख] खमकरि २६ खज्जइ ११३, ३३; २/३ यहि २ १७, २३० खलहि २१२४ खणहि २३२ खवेहि २२५ खंचहि १।११ [ग] गहाइ १।२७ गहियउ २।१४ गच्छहि २ १९, २०, १।३३ जहि २२२ गणेइ २।२० गहइ ११४ गिज्जइ १।१४ गमणु १।१६ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184