Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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शब्दावली
[ट]
[च] चउगली २०१२ (?) चक्क ११४५ = चक्र चित्तसाल १२२२ = चित्रशाला चिंधण २।२२ = चिह्न चोज्जु २।३ = आश्चर्य
टापू ११४५ = टापू ट्ठग ११२४ = ठग ट्ठाउ ११५ % ठांव ट्ठाणा २१११ - स्थान
[ ] ठाण २।२६ =स्थान ठाकुर ११४१ 1. ठोक्कर ॥२४ ठाकुर
णिव्वाण २।३६ = निर्वाण णिहय ११४ = निहत णिग्घंटु १७ = निघंटु णिवेय १११६ = नैवेद्य णिग्गहण २।४ - निर्गहन णियविणी ११७ = नितम्बिनी णियरुइ १।३१ = निजरुचि णिमत्तिय २।१० = नैमित्तिक णिवसुत १११० = नृपसुत णीरु ११३ = नीर णीलोप्पल १३ = नीलोत्पल
[छ] छहि ११३७ = छह छंद ११४६ = स्वभाव-कपट छण १।१६ = क्षण छत्त २।१८,२२ = छत्र छहहरि १२३४ = छह हरि छार १११३ = क्षार छीदु ११४१ छिद्र>छिद्द>छीदु
= छेद छोहु १।२१ = क्षोभ
[3] डाइणि ११२४ डासणि २।४५ डिडिम २०१८ डोमु २।३ % चंडाल डोमणिय २।३ = डोमिनी
[थ] थण ११४,३३ = स्तन थत्ति १११ = स्थिरता थंभण १।४१ = स्तंभन थाल ११३६ = स्थाल थट्ट २१६,१९ = समूह थुवा १११६=स्तुति (स्तवन) थणि २।१४ = स्यान थुई १।१२ = स्तुति थेर २१३ = स्थविर
[ज]
जलण १।२४ ज्वलन - जलना जंपाय १११५ = वाहन विशेष जलहर ११२४ = जलधर जंमायउ ११३जामाता जम्मतरु २।२७ = जन्मान्तर जक्खेसर १११७ = यक्षेश्वर जंतु ११५ - यन्त्र जण्ण २।३ = यज्ञ जाला १।१७ ज्वाला जाण ११५ = यज्ञ जार ११४५ = विट जिणाहिय १११ - जिनाधिप जीह २।२३ जिह्वा = जीभ जुव २।१२ = युवा जुवाण २।३५ युवान = युवा जुवइण १।३२ % युवतीजन
[ण] णउ २१७,२९ - नृप णंचु २।२ = नृत्य णंण १२ = ज्ञान णाडि २१९ = नाड़ी णरय २१७ = नरक णवराउ १।१३ = नवराग णयल १।२६ = नभतल णाभि ११ = नाभि णाउ १६१९ - नाम णाणु १।१७ = ज्ञान णाय २।२१ = नाग णाडउ १११७नाटक णामिउ ११४५ = नाम णरियणु ११३६ - नारीजन णातियउ २।३ = नाती णारियर श२ = नारियल णिसाण २।१२ % चिह्न णियड २।१९ निकट णिहाण २१६ - निधान णिरति १११७ = निरति णिग्गइ ११३३ = निर्गति
[द] दहि ११२५ = दधि दक्ख ११३ द्राक्षा = दाख दप्पु ११४४ = दर्प दतीणहि ॥२४ = दतीनख दहिय २१३१=दही दइव ११७ = दैव दब २।१२ = द्रव्य दवणु = द्रवण दहमि १११७ = दशमी दहलक्खणु ११३० = दशलक्षण दारा ११३३ = स्त्री दाउ २।२१-दाय दाइज्ज २।१२ = दहेज दिसंतर १११७ = दिशान्तर दोवय २।३२ = दीपक दुद्ध २।३१ = दुग्ध
[झ]
झाण ११३५ = ध्यान
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