Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 153
________________ ९० सिरिवालचरिउ उदए २।३१ उदक = जल उवहि २।५ = उदधि उंदेस ११२ = उपदेश उत्ति १।९ उक्ति अंतेउर २०१५ अंतःपुर उत्तमंगु ११२ उत्तमांग उवराउ १११० - कोढ़का एक भेद उग्घाडणु ११३७ = उद्घाटन उज्जण २।३३ = उद्यापन । सडिडिम २।२२ = डुगडुगी खानी २०११ - खदान खाण-पाण ११३७ = खान-पान खुल्लय १२,२॥३३ = क्षुल्लक खीर १।१५ क्षीर = दूध खेत्त २।१८ - क्षेत्र खेड १।३ = गांव (खेड़ा) खेयर १२ खेचर = विद्याधर कील १११८ =कीलना,मन्त्रादिसे किसीको जड़ कर देना उकुटु १।२८ % उत्कृष्ट कूड २।२,११३२ कूट = कपट कुलाहल १२४० = कोलाहल कुंजर २।१८ = हाथी। कुवरि ११६ = कुमारी कुंत २।२४ = कुन्तमाला कुसुमोह २।२७ = कुसुमोघ (फूलों का समूह) कुडुव १९ कुतुप फुटवालिय ११११ (?) कुलभंडिय ११४४ = कुलभांड कुसवाल १।२९ (?) कुवलय २।१० = पृथ्वीमंडल, कुमुद कुवलचन्दु २।१४ - कुवलयचन्द्र कूकर ११४४ - कुत्ता कूउ २।५ - कूप केउर २१९ = केयूर कोढिय १।१४ = कोढ़ी कोढ़ियण १।१५ = कोढ़ीजन कोडिवीरु श२५ कोटिवीर कोट ११२ = कोठा एकंतगोठ २७ = एकान्तगोठ गंधक २।२१ = गन्धक गवाख ११३४ गवाक्ष = झरोखा गव्व ११२२ = गर्व गंजण २१ गंजन = विनाश गंडय १।६ = गंडक, गैंडा गंधोवउ ११८,१८ = गन्धोदक गल २१९ = गला गयघड २।१०,१८,२१,२२; २।२२ = गजघटा गण ११४०% समूह गत्त २२६ गात्र = शरीर ग्राह २।१२ = ग्राह गायण १।२६ = गायन गिद्धि ११६ = गृद्धि तियलिय-गुंज २।२२ = वाद्य विशेष की गूंज गुसुव ११६ = गोसुत गुज्झवत्त १।२० = गुह्यवार्ता गेय ११२९ % गेय गोहिण ११२७ = पीछे (लगना) गोमेय ११३४ = गोमेध गोमुह ११:७ गोमुख [क] कपूर २।३१ कपूर कडतल २।२४ कटितल कटारिय २।२४ कटारी करडह २।२२ करट - ऊँट ? करह २।१२ = करभ ? कणया २०१८ कनक = सोना करकंकण २।१७ = करकंगन कवाण २१३२ कपाट = किवाड़ कडय २।१४ कटक = सेना कप्पविडउ ११३१ कल्पविटप = कल्पवृक्ष कण्णड २१९ = कन्नड़ कण्णउ २०११ = कन्या कयंतु २।२१ कृतान्त = यम कव्वड़ ११३ = खराब गांव कलोलु २।१२ कल्लोल = लहर काहल ११११,३६; २।१३, १८ ___ = वाद्य विशेष । काज्जु ११९ - कार्य, कज्ज> काज्जु>काज काहलिय २।२२ कातर - कारंड ११८ = पक्षी विशेष किवण १।३४ = कृपण किसाणु १।३१ = किसान [ख] खवणय ११६% क्षपणक खयकालु २।१ - क्षयकाल खडरस २७ - षड्रस खय ११४१ = क्षय खर १११३,२।३,७ = गधा खम २।५ = क्षम खग्ग २।१८ = खङ्ग खण १२४१-क्षण खंभ ११२ = स्तम्भ खंडी १।३१ = खण्डित, खण्डित किया खंधावार २।१८ = स्कन्धावार खाण ११४४ = खान, खदान [घ] घड १।४३ = घटा घिय २।३१ घृत = घी घरवार २।२९ = गृहद्वार घण-उंवरु १।३० (?) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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