Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 155
________________ ९२ दुरि १४१ दुरित = पाप दुम्मइ १।१ = दुर्मति दुहियण १।१० = दुःखीजन दूवक्खय १।२५ = दूर्वाक्षत दुवा १।२९ • दूर्वा = देवाह १।४१ = देवस्थान देवर १।१२ = देवर देवंग १।१४ = देवांग देवरइ २।१० = देवरति देवत्तण २।३६ = देवत्व दोह ११७ = दोहा दोसु १।१५ = दोष [ ध धम्म २।१६ = धर्म घरिणी १।२५ = धरती धणय १।४६ धनद = = कुबेर धत्तीहल २।१४ = धात्रीफल धम्मयवारु २।१९ = धर्म द्वार धीय १।३२ = बेटी धीवर १।३ = ढीमर धुंधुमारि १।१५ = धूलधक्कड़, या कोलाहल धूव २।१५ = धूप धूमायरु = धूम्राकार धोवी २३ = धोबी [ प ] पट्टणु १।२५ पत्तन = नगर पडह १।२९ पटह = नगाड़ा पट्टराणि २।११ = पट्टरानी पत्त्थान २।१० प्रस्थान = कूच पइजा २।१ = प्रतिज्ञा पयहण २।१ = पयोधन पडिहारिय २२ = प्रतिहारी परिगह २।६ - परिग्रह पडलु १।३४ = पटल परोहण ११२७ = = प्ररोहण पसाउ ११४० = प्रसाद Jain Education International सिरिवालचरिउ = पाताल पयालि १४० पाण २।२९,५,१५ = डोम पडिहार १।११ = = प्रतिहार पाय १।१३, १४ = पाया पाव १८ = पाप पिसाउ १७ पिउ १।३७ पिता पित्त १।११ = पित्त = पिशाच - = पिंडवास २।१३ = अन्तःपुर पित्ति २।२१ पितृव्य : चाचा पिंडीय २१२६ पिंडीद्रुम पियाण १।२४ = प्रयाण = पुट्ट १।२८ - पृष्ठ पुक्खर १।३३ = पुष्कर पुराण ११७ = पुरान पुहई २।३१ = पृथ्वी पुण्णिम २।३२ = पूर्णिमा पुंसमार ११५ = कोयल ( नर ) पुत्तिय २३ = पुत्री पुप्फुयंत १११ = पुष्पदंत पुहवि १।१४ = पृथ्वी पेक्खण १।३३ = प्रेक्षण पेसणु १।२९ = प्रेषण पोत्था २।३२ = पोथा, पुस्तक पोहणु १।३० = प्रोहण पोमासणु २।२ = पद्मासन [ फ] फलिह १५, १९, ३०, ३४ = स्फटिक फोड़ी ११४१ = फूड़िया [भ] भट्ट १।४७ = भाट भडाल २१४ = भटालय भद्धगमे १।६ = भद्रागमे भडारउ २।२७ = भट्टारक भवियण २।३१ = भव्यजन भत्तिय २।३६ भक्ति भतीजउ २।२९ = भतीजा भवकमल २।२६ = भव्य कमल For Private & Personal Use Only भाण १।१३ एक निम्न जाति भँवरि १।३६ फेरे = भिच्च २।३० भृत्य = अनुचर भील २।१३ = जंगली जाति भुवंग २२१ = भुजंग भूरुह १।३२ = वृक्ष भेंट २।१२, १८ = भेंट भेय १७ = भेद (रहस्य) भोज्ज २३ भोज्य भोयण २|७ = भोजन [म] मत्थ १।३७ = मस्तक > मत्थअ > मत्थ = मय-मद मच्छउ=मत्स्य मउडु_१।१४ = मुकुट मउण ११८ = मौन मयर २।९ = मकर मछर २।१३ = मत्सर, मच्छर मथवाहि १।३१ = मस्तक-व्याधि मालव णिव १।१७ = मालव- नृप मुग्गर १।२७ मुद्गर मायर १।२२ = माता मोलु १।११ = मूल्य मोद्दी १११४ = मुद्रिका [र] रय २१७ = रज रण्ण २।११ = अरण्य रतपित्त १।११ रक्तपित्त रहरेहा २१८ = रथरेखा रयणि २।१२ = रजनी |रायंगु १।३१ = राज्यांग रासु २1११, १२ = रास राजू २१५ रज्जु = रस्सी रावत्त २।२१ = राजपुत्र रायवत्त २।३१ = राजपुत्र रायहर १।३० = राज्यगृह रायसोह १।१३ राजशोभा रिउ ११३७ = रिपु = C www.jainelibrary.org

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