Book Title: Siriwal Chariu
Author(s): Narsendev, Devendra Kumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 152
________________ शब्दावली आहरण १३१४, २।२ आभरण गहना आगम १२२ आगम-शास्त्र आलउ ११२५ आलय = घर आलवनी २।४ = आलापिनी आगासण १।१३ = अग्रासन आयपत्त १११० आतपत्र = छाता आहंडल ११३२ आखंडल = इन्द्र आणणारि ११२० - अन्य नारी आयर ११२६ = आदर आसीवाउ १८ = आशीर्वाद आतावण २।२९ = आतापन आणा ११२२ = आज्ञा आइसु १११३ = आदेश आवणि ११३३ आपण = बाजार आमंतण २।३३ = आमन्त्रण चार अंतेउर २१३४ अन्तःपुर-रनिवास अपाउ २।३६ अपाय अकित्ति ११४ अकीर्ति = अपयश अंतरखसिय २।१३ नीचे खिसक गयी असीस २।२२ आशीष = आशीर्वाद अंबा १११७ अम्बा = मां अवसण १११७ अवसन अवजसु १।१९ अपयश अमियहलु १११५ अमृतफल असुमेह ११६ अश्वमेध अमरकोसु ११७ अमरकोष अखोह ११७ अक्षोभ क्षोभ रहित अवलोय ११२५ = अवलोक? अलि १३३ = भ्रमर अंजुलि ११४३ = अञ्जलि अलिय ११२४ अलीक = झूठ अवचार १।३२ = अपचार अछरीय २१८ = अप्सरा असहण ११३१ = असहन असराल ११३६ अश्वशाला >अससाल>असराल ? आणंदभेरि ११३६ = आनन्दभेरि अलावणि ११३८ आलापिनी वीणा अयाण २।२ = अज्ञान [अ] अमलमइ २१९ अमलमति = निर्मल बुद्धिवाला अवही २।१२ अवधि =समय की सीमा अवहि १४९, ३०, २०१४ - अवधिज्ञान अगिवान २०१३ = अग्निबाण असिवर २।२३ असिवर-श्रेष्ठ तलवार अरिखय २।२० अरिक्षय = शत्रु का नाश अयजाण १।६ अजायज्ञ = अज>अअ>अय । यज्ञ>जण्ण>जाण । अप्परिद्धि ११३२ आत्मऋद्धि अट्ठवट्ठ ११२४ = आठ रास्तों वाले अट्ठकाम १८ अष्टकर्म = अष्टकर्म अणंगु १।३१ अनंग = कामदेव असिया उसा १११७ = मंत्र = णमोकार का संक्षिप्तरूप अंगरक्ख २१२० अंगरक्ष अणुराय २।१७ अनुराग (अतिभक्ति) अंगु २।२१ अंग = शरीर का हिस्सा अज्जियाई १३२ आर्यिका = जैन साध्वी अज्जिय २।३३ अजित प्राप्त किया । अंतयाल २।३३ अंतकाल = अन्तिम समय [[] इच्छु १।२१ = इच्छुक इसरू = ईश्वर ? इक्खा १३ - इच्छा इकतरउ% इकतरा इंद ११३४ - इन्द्र [3] उक्खा ११११ इक्षु = ईख उरिण १।२९ = उऋण उवसे ११४३ - उपदेश उच्छाह ११३८ = उत्साह उच्छहु १।४७ = उत्सव उल ११२७ = कुल उचरु ११३६, २।३३ = उच्चार [ आ] आण २।३१ = आज्ञा आयण १११३ आगमन = आना १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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