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२. १२. १५]
हिन्दी अनुवाद
कंचनपुर छोड़कर जैसे ही उसने कूच किया कि इतने में एक चर पुरुषने आकर उससे भेंट की। वह बोला, "हे स्वामी, कोकपद्वीप नामका एक स्थान है, उसमें बहुत देश और गाँव सघन बसे हुए हैं। उसमें यशोराशि विजय नामका राजा राज्य करता है। वह इतना सुन्दर है कि मानो इन्द्र ही स्वर्ग छोड़कर आया हो । रसकी खान, उसकी चौरासी रानियाँ हैं। उसमें जसमाला देवी मुख्य रानी है। उसके पाँच पुत्र हैं, उनमें पहला पुत्र है हिरण्य । स्नेहाकुल योद्धा और शत्रुकन्याओंको जीतने वाला। उसकी गुणोंसे योग्य सोलह सौ कन्याएँ हैं। उनमें सौभाग्य गौरी जेठी और विदग्ध है। दूसरी है शृंगार गौरी। तीसरी है पुलोमा। चौथी है रण्णा, पाँचवीं है सोमा, छठी है सम्पदा, सातवीं है पद्मा और आठवीं है शशिलेखा। यशोराशि, विजया और यशमालाकी कन्याएँ और भी दूसरे राजाओंकी सौ कन्याएँ हैं जो तुम्हारे लिए हैं। जो उन आठ कन्याओंके आठों प्रश्नोंका उत्तर देगा, वह राजा सोलह सौ कन्याओंसे विवाह करेगा। जेठी कहती है-"जहाँ साहस है, सिद्धि दासी है।" शृंगार गौरी कहती है-"देखते-देखते सब कुछ चला गया।" पुलोमा कहती है—“काचरी मीठी होती है।' रण्णा कहती है-"पंचानन ही शेर है।' सोमा कहती है---"क्षीर किस मुंहसे पियाऊँ ?" । सम्पत्ति कहती है-"धीर कौन दिखाई देता है ?"। पद्मा कहती है"तेज किससे बढ़ता है ?" । शशिलेखा कहती है-"उसका क्या किया जाये ?"
घत्ता-चरके वचन सुनकर सिंह श्रीपाल चलकर थाणा कोकण जा पहुँचा। लड़कियोंसे बोला-"तुम्हारी बलिहारी जाता हूँ। अपनी-अपनी बात कहो ॥११॥
(१) सौभाग्य गौरी
जहाँ साहस है वहाँ सिद्धि है। शरीरका शत्रु आलस्य है, बुद्धि भाग्यके अधीन है।
इसमें कुछ भी भ्रान्ति मत करो, जहाँ साहस है वहाँ सिद्धि है। (२) शृंगार गौरी वचन
देखते-देखते सब चला गया। धर्म अर्जित नहीं किया, कुछ खाया नहीं, संचय भी नहीं किया द्रव्य। राजकुलमें
द्यूत ( जुआ ) देखते ( खेलते ) हुए सब कुछ चला गया। (३) पउलोमी घुमक्कड़ श्रीपालसे कहती है
कुएँ में बैठा मेढक, समुद्रको छोटा बताता है।
जिसने नारियल नहीं खाया उसके लिए कचरियोंका रस ही मीठा लगता है। (४) रण्णादेवी कहती है
वे पंचानन सिंह हैं। शीलसे रहित जो भी मनुष्य हैं वे मलिन वस्तुओंसे क्रीड़ा करते हैं, परन्तु जो चारित्र्य से निर्मल है पंचानन ( इन्द्रियों के लिए ) सिंह है।
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