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सिरिवालचरिउ
बजाकर लाना और उसे आसन देना, रास्तेमें पताकाएँ बाँधना, कन्यादान देना और साथ में दहेज भी देना । ये सभी रीति-रिवाज आज भी ज्योंके त्यों प्रचलित हैं। इसके साथ-साथ दास-दासियाँ भी भेंट की जाती थीं।
मैनासुन्दरीके विवाहका दृश्य
__ "तरह-तरहके तोरण भी बनवा दिये । मंदल (मृदंग) बजने लगे। मंगल गीत भी होने लगे ।........। ब्राह्मण वेद पढ़ रहे थे। हवन और मन्त्रोंका उच्चारण कर रहे थे। श्रीपालको मकूट बाँध दिया गया और छत्र भी।........। उसकी अंगुलीमें अंगूठी भी दी गयी।" (१।१४)
रत्नमंजूषाके विवाह-वर्णनका उदाहरण__ "नगाड़े, शंख और भेरी बाजे बजने लगे। रास्तेमें पताकाएँ और छत्र शोभित थे। गाने-बजानेके साथ लोग नाच रहे थे। घरमें जाकर उससे ( श्रीपालसे ) बातचीत की और रत्न-निर्मित श्रेष्ठ आसन उसे दिया और फिर शुभ मुहूर्तमें लगनकी स्थापना की। हरे बाँसका वहाँ मण्डप बनाया गया और उसे चवरी तथा सात फेरे दिलाकर रत्नमंजूषाका उससे विवाह कर दिया। उसने बहत-से उत्तम हाथी और घोड़े उसे दिये । रत्नके कटोरे और सोनेके थाल दिये।" (१॥३६)
सामूहिक विवाह
श्रीपालने जितने भी विवाह किये उनमें केवल मैनासुन्दरी, रत्नमंजूषा और गुणमालाके साथ किये गये विवाहको छोड़ शेष अन्य सभी विवाह सामूहिक रूपसे एकसे अधिक कन्याओंसे किये। चित्रलेखाके गम्ति मौ कन्याओंसे (२।९). विलासवतीके सहित ९०० कन्याओंसे (२०१०), कोंकण द्वीपमें आठ कन्याओं सहित १६०० कुमारियोंसे (२०१३), पंच पाण्ड्यमें २००० कन्याओंसे, मल्लिवाड़में सात सौ, तैलंगमें १००० कुमारियोंसे उसने विवाह किया। यह बात दूसरी है कि श्रीपालने इतनी कन्याओंसे विवाह किया या नहीं? परन्तु इससे यह सिद्ध होता है कि सामूहिक विवाहका प्रचलन था।
बहु-विवाह
बहु-विवाहका वर्णन भी मिलता है। श्रीपालने १८,००० कुमारियोंसे विवाह किया था। वैसे यह संख्या चौंका देनेवाली है। भले ही श्रीपालने १८,००० कन्याओंसे विवाह नहीं किया हो, परन्तु इससे इतना स्पष्ट है कि उसकी एकसे अधिक पत्नियाँ थीं। उस युगमें किसी व्यक्तिकी सम्पन्नताके मापने के तीन मापदण्ड थे-(१) आर्थिक सम्पन्नता, (२) शक्ति (३) अधिक पत्नियाँ । 'सिरिवाल चरिउ' में कविने श्रीपालको साधन-सम्पन्न बतानेके लिए ही इतनी अधिक पत्नियों की संख्याका उल्लेख किया है।
दहेजप्रथा
'सिरिवाल चरिउ' में दहेज देनेका वर्णन भी मिलता है। सुरसुन्दरीके विवाह में -
"राजाने लाकर उसे ( सिंगारसिंहको ) कन्या दे दी और साथमें दिये हाथी, घोड़े, स्वर्ण........." (१६)
मैनासुन्दरीके विवाहमें भी दहेज दिया गया था
"उसने अच्छे घर, सुन्दर भण्डार और सम्पदाएँ दीं। दिव्य वस्त्र और भूषण । रथ, अश्व, छत्र और सिंहासन । हय, गज, वाहन, जम्पाण और यान । बहुत-से चिह्न, चँवर, उनके किकाण, धन-धान्यसे भरे हुए ग्राम और देश ।....शोभासे युक्त राजकुल भी दे दिया। धन, दासी, दास और अन्य सुवर्ण आदि।" (१।१५)
चित्रलेखाके विवाहमें मकरकेतुने श्रीपालको श्रेष्ठ गज, अश्व, ऊँट आदि प्रदान किये ।(२।१)
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