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उपोद्घात
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५ हेमाभाई सेठ की टोंक। इस को अहमदाबाद के नगरसेठ हेमाभाई ने संवत् १८८२ में बनाया है और ८६ में प्रतिष्ठित किया है । इस में ४ बडे मन्दिर और ४३ देहरियां हैं।
६ प्रेमचंद मोदीकी टोंक।। अहमदाबाद के धनिक मोदी प्रेमचंद सेठ ने शत्रुजय तीर्थ की यात्रा करने के लिये एक बडा भारी संघ निकाला था । तीर्थ की यात्रा किये बाद उन का दिल भी यहां पर मन्दिर बनाने का हो गया । लाखों रुपये खर्च कर यह टोंक बनाई और इस की प्रतिष्ठा करवाई । इस में छ बडे मन्दिर और ५१ देहरियां बनी हुई हैं । इस सेठ ने अपनी अगणित दौलत धर्म कार्य में खर्च की थी। कर्नल टॉड साहब ने अपने पश्चिमभारत के प्रवासवर्णन में लिखा है कि " मोदी प्रेमचन्द की दौलत का कुछ ठिकाना नहीं था । उस की कीर्तिने सम्प्रति जैसे प्रतापी और उदार राजा की कीर्ति को भी ढांक दी है।"
७ बालाभाई की टोंक। - घोघा-बन्दर के रहने वाले सेठ दीपचंद कल्याणजी, जिन का बचपन का नाम बालाभाई था, ने लाखों रुपये व्यय कर संवत् १८९३ में इस टोंक को बनाया है । इस में छोटे बडे अनेक मन्दिर अपने उन्नत शिखरों से आकाश की साथ बात कर रहे हैं। __ इस टोंक के ऊपर के सिरे पर एक मन्दिर है जो ' अद्भुत' मन्दिर कहा जाता हैं । इस में, आदिनाथ भगवान् की, पांच सौ धनुष जितने विशाल शरीरमान का अनुकरण करने वाली मूर्ति है । यह पर्वत ही में से उकीरी गई है । यह प्रतिमा १८ फूट ऊँची है। एक घुटने से दूसरे घुटने तक १४॥ फुट चौडी है। संवत् १६८६ में धरमदास सेठ
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