Book Title: Shatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५२ शत्रुंजयतीर्थोद्धारप्रबन्ध का मुजफरशाह की मृत्यु बाद संवत् १४५४* में अहमदशाह गद्दी पर बैठा । उस ने संवत् १४६८ x में साबरमती नदी के किनारे, जहां प्राचीन कर्णावती नगरी थी वहां पर अपने नाम से अहमदाबाद शहर बसाया और पट्टन के बदले उसे अपनी कायम की राजधानी बनाया | अहमदशाह के पीछे उस का बेटा महम्मदशाह बादशाह हुआ उस के बाद कुबुद्दीन और फिर महमूद बाहशाह बना । वह महमूद Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का राज्य दिया था । तवारिखों में इस के विषय में जो कुछ लिखा हुआ है उस का मतलब इस प्रकार है-फिरोज तुगलक, बादशाह बनने के पहले, एक दफे पंजाब के जंगल में शिकार खेलने गया था। वहां पर वह भूला पड गया और इधर उधर भटकता हुआ टांकजाति के राजपूतों के एक गांव में जा पहुंचा। शाहरान और साधु नामक दो राजपूत भाईयों ने उसका स्वागत किया और कुछ दिन तक अपने घर पर रक्खा। उन की एक बहन थी जिस के साथ फिरोज का प्रेम हो जाने से उस को ब्याह कर वह दिल्ली ले गया। साथ में वे दोनों भाई भी दिल्ली गये और फिरोज के कथन से उन्हों ने वहां पर इस्लामधर्म का स्वीकार किया। शाहरान का नाम वजीहुल्मुल्क और साधु का नाम समशेरखान रक्खा गया । जब फिरोज बादशाह बना तब समशेरखान और वजीहुल्मुल्क के बेटे जफरखान को अमीरपद दिया गया। कुछ समय बाद जफरखान को गुजरात का सुबा बना कर पाटन भेजा गया। फिरोजशाह के मर जाने पर उस ने अपने को गुजरात का स्वतंत्र अधिकारी मान कर अपने बेटे तातारखान को, नासिरुद्दीन महम्मदशाह के नाम से गुजरात का स्वतंत्र सुलतान जाहिर किया । महम्मद ने आसावली ( जो पीछे से अहमदाबाद कहलाया ) को राजधानी बनाया और दिल्ली के बादशाह को जीतने के लिये रवाना हुआ। रास्ते में पाटन में किसी ने जहर दे कर उसे मार डाला । उस के मर जाने पर, बडे बड़े अमीरों के कथन से जफरखान स्वयं तख्त पर बैठा और मुजफरशाह के नाम से अपने को गुजरात का बादशाह जाहिर किया । * तवारिखों में सन् १४११ ईस्वी (सं० १४६७ ) लिखा हुआ है । x राजावली कोष्टक में अहमदाबाद के स्थापन की मीती वैशाख वदि ७ रविवार और पुष्यनक्षत्र के दिन की लिखी है । आईन-ए-अकबरी में सन् १४११ और फिरस्ता में सन् १४१२ की साल है । For Private and Personal Use Only

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