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ऐतिहासिक सार भाग ।
बेगडा के नाम से प्रसिद्ध है । उस ने जूनागढ और पावागढ ( चांपानेर ) के प्रसिद्ध किलों को जीत कर अपने राज्य में मिलाये । महमूद के बाद मुजफर दूसरा बादशाह हुआ । वह लक्षण, साहित्य, ज्योतिःशास्त्र और सङ्गीत आदि विद्यायों का अच्छा जानने वाला था । विद्वानों को आधार भूत और वीरपुरुष था । उस ने अपनी प्रजा का, पुत्रवत् पालन किया था। उस के कई पुत्र थे जिन में शिकन्दर सब से बडा था । उसने नीति, शक्ति और भक्ति से अपने पिता का और प्रजा का दिल अपनी और आकृष्ट कर लिया था । उस का छोटा भाई बहादुरखान नामक था जो बडा उद्भट, साहसिक और शूरवीर था । उस ने पूर्वकाल के नृपपुत्रों के चरित्रों का विशेष अवलोकन किया था । इस लिये उन की तरह उस का भी मन देशाटन कर अपने ज्ञान की वृद्धि करने का हो गया । कितनेक नोकरों को साथ ले कर वह अहमदाबाद से प्रदेशकी मुसाफरी करने के लिये निकल गया * । नाना गाँवों और शहरों में होता हुआ वह क्रमसे चित्रकूट (चित्तोड ) पहुंचा। वहां पर, महाराणा ने उस का यथोचित सत्कार किया ।
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ऊपर उल्लेख हो चुका है कि कर्मा साह कपडे का व्यापार करता था । बंगाल और चीन वगैरह देश विदेशों से करोडों रुपये का माल उस की दूकान पर आता जाता था । इस व्यापार में उस ने अपरिमित रूप में द्रव्यप्राप्ति की थी। शाहजादा बहादुरखान भी कर्मा साह की दूकान से बहुत सा कपडा खरीद किया । इस से
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* तवारिखों में तो लिखा है कि " शाहजादा बहादुरखान, पिता ने अपने को थोडी सी जागीर देने के कारण नाराज हो कर गुजरात को छोड हिन्दुस्थान में चला गया । और मुजप्फर शाह ने बड़े बेटे सिकन्दरखान को अपना उत्तराधिकारी बना कर बादशाह बनाया ।
( गुजरातनो अर्वाचीन इतिहास । )