Book Title: Shatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 84
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org परिशिष्ट । देवा ॥ सूत्र० नाकर सू० नाइआ सू० गोविंद सू० विणायग सू० टीला सृ० बाछा सू० भाणा सू० का [ल्हा ] सूत्र ० देवदास सू० टीका सू० ठाकर.... प० काला वा० विणाय० । ठा० छाम ठा० हीरा सू० दामोदर वा० हरराज सू० थान । मङ्गलमादिदेवस्य मङ्गलं विमलाचले । मङ्गलं सर्वसङ्घस्य मङ्गलं लेखकस्य च ॥ पं० विवेकधीरगणिना लिखिता प्रशस्तिः ॥ पूज्य पं० समयरत्न शिष्य पं० लावण्यसमयस्त्रिसन्ध्यं श्रीआदिदेवस्य प्रणमतीतिभद्रम् ॥ श्रीः ॥ ठा० हरपति ठा० हासा ठा० मूला ठा० कृष्णा ठा० का [ल्हा ] ठा० हर्षा सू० माधव सू० बाहू || लो सहज || ( प्राचीन जैनलेखसंग्रह - नं. १ ) आ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * ॥ ॐ ॥ संवत [ त् ] १५८७ वर्षे शाके १४५३ प्रवर्त्तमाने वैशा [ ख ] बदि ६ । रवौ ॥ श्रीचित्र [ कूट ] वास्तव्य श्रीओशवा [ ल ] ज्ञातीय वृद्धशाखायां दो० नरसिंह सुत दो० [ तो ] ला भार्या बाई लीलू पुत्र ६ दो० रत्ना भार्या रजमलदे पुत्र श्रीरङ्ग दो० पोमा भा० पद्मादे द्वि० पटमादे पुत्र माणिक हीरा दो० गणा भा० गउरादे [ द्वि० ] गारवदे पु० देवा दो० दशरथ भा० देवलदे द्वि० टूरमदे 1 ७७ * यह लेख तीर्थपति श्रीआदिनाथ भगवान् की मूर्ति की बैठक पर खुदा हु For Private and Personal Use Only

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