Book Title: Shatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
حف
परिशिष्ट ।
पुत्र केहला दो० भोजा भा० भावलदे द्वि० [ह] र्षम- [ दे पुत्र श्रीमण्डन ] भगिनी [ सुह ] विदे [ बं] धव श्रीमद्राजसभाशृङ्गारहारश्रीशत्रुञ्जय सप्तमोद्धारकारक दो० करमा भा० कपूरादे द्वि० कामलदे पुत्र भीषजी पुत्री बाई सोभां बा० सोना बा० मना बा० पना प्रमुखसमस्त कुटुम्ब श्रेयोर्थं शत्रुञ्जयमुख्यप्रासादो - [द्धा ]रे श्रीआदिनाथबिम्बं प्रतिष्ठापितम् । मं० रवी । मं० नरसिंगसानिध्यात् । प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ श्रीः ॥
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( प्राचीन जैन लेखसंग्रह - नं. २ )
*आँ ॥ संवत् १५८७ वर्षे वैशाख [व] दि [६] श्रीओशवंशे वृद्धशाखायां दो० तोला भा० बाई लीलू सुत दो० रत्ना दो० पोमा दो० गणा दो० दशरथ दो० भोजा दो० करमा भा० कपूरादे कामलदे पु० भीषजीसहितेन श्रीपुण्डरीकबिम्बं कारितम् । ॥ श्रीः ॥
( प्राचीन जैन लेख संग्रह - नं. ३ )
* यह लेख श्री पुण्डरीक गणधर की मूर्ति पर लिखा हुआ हैं ।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118