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परिशिष्ट ।
पुत्र केहला दो० भोजा भा० भावलदे द्वि० [ह] र्षम- [ दे पुत्र श्रीमण्डन ] भगिनी [ सुह ] विदे [ बं] धव श्रीमद्राजसभाशृङ्गारहारश्रीशत्रुञ्जय सप्तमोद्धारकारक दो० करमा भा० कपूरादे द्वि० कामलदे पुत्र भीषजी पुत्री बाई सोभां बा० सोना बा० मना बा० पना प्रमुखसमस्त कुटुम्ब श्रेयोर्थं शत्रुञ्जयमुख्यप्रासादो - [द्धा ]रे श्रीआदिनाथबिम्बं प्रतिष्ठापितम् । मं० रवी । मं० नरसिंगसानिध्यात् । प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ श्रीः ॥
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( प्राचीन जैन लेखसंग्रह - नं. २ )
*आँ ॥ संवत् १५८७ वर्षे वैशाख [व] दि [६] श्रीओशवंशे वृद्धशाखायां दो० तोला भा० बाई लीलू सुत दो० रत्ना दो० पोमा दो० गणा दो० दशरथ दो० भोजा दो० करमा भा० कपूरादे कामलदे पु० भीषजीसहितेन श्रीपुण्डरीकबिम्बं कारितम् । ॥ श्रीः ॥
( प्राचीन जैन लेख संग्रह - नं. ३ )
* यह लेख श्री पुण्डरीक गणधर की मूर्ति पर लिखा हुआ हैं ।
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