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शत्रुंजय पर्वत का आधुनिक वृत्तान्त ।
२ छीपावसही की टोंक ।
यह टोंक छोटी ही है । इस में ३ बडे बडे मन्दिर और ४ छोटी छोटी देहरियां हैं । इसे छीपा ( भावसार ) लोगों ने बनाई है इस लिये यह ' छीपावसही ' कही जाती है । इस का निर्माण संवत् १७९१ में हुआ है।
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इस के पास एक पाण्डवों का मन्दिर है जिस में पांचों पाण्डवों की, द्रौपदी की और कुन्ती की मूर्तियां स्थापित हैं । जैनधर्म में पाण्डवों का जैन होना और उन का इस पर्वत पर मोक्ष जाना माना गया है । इस लिये जैनप्रजा उन की मूर्तियों की भी अपने तीर्थंकरों की समान पूजा करती है ।
३ साकरचंद प्रेमचंद की टोंक ।
इस को अहमदाबाद के सेठ साकरचंद प्रेमचंद ने संवत् १८९३ में बनाया है । इस का नाम सेठ के नामानुसार ' साकर -वसही ' ऐसा रक्खा गया है। इस में तीन बडे मन्दिर और बाकी बहुत सी छोटी छोटी देहरियां हैं ।
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४ उजमबाई की टोंक ।
अहमदाबाद के प्रख्यात नगरसेठ प्रेमाभाई की फूफी उजमबाई ने इस टोंक की रचना की है । इस कारण इस का नाम ' उजमवसही ' है । इस में नन्दीश्वरद्वीप की अद्भुत रचना की गई है । भूतलपर छोटे छोटे ५७ पर्वत - शिखर संगमर्मर के बनाये गये हैं और उन प्रत्येक पर चौमुख प्रतिमायें स्थापित की हैं । इन शिखरों की चोतरफ सुन्दर कारीगरी वाली जाली लगाई गई है । इस मन्दिर के सिवा और भी अनेक मन्दिर इस में बने हुए हैं ।