Book Title: Shatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुख्य मन्दिर का इतिहास | कि — इस मन्दिर के बनवाने में बाहड मंत्री ने एक करोड और ६० लाख रुपये खर्च किये हैं । ३१. पष्टिलक्षयुता कोटी व्ययिता यत्र मन्दिरे । स श्री वाग्भटदेवोऽत्र वर्ण्यते विबुधैः कथम् || मन्दिर की व्यवस्था और निभाव के लिये मंत्रीने कितनी ही जमीन और ग्राम भी देव-दान में दिये कि जिनकी ऊपज से तीर्थ का सदैव का कार्य नियम पुरःसर चलता रहे । For Private and Personal Use Only समरासाह का उद्धार । बाहs मंत्री के थोडे ही वर्षों बाद शाहबुद्दीन घोरी ने उद्वेगजनक हमले शुरू किये । दीलीवर पृथ्वीराज चाहमान का पराजय कर उस ने भारत के भाग्याकाश में विपत्ति के बादलों की भयानक घटा के आने का दुर्भेद्य द्वार खोल दिया । बस, फिर क्या होना था ? - सावन और भादों के मेघों की तरह एक से एक त्रासजनक और विप्लवकारी म्लेच्छों के आक्रमण होने लगे जिस से भारतीय स्वतंत्रता और सभ्यता का सर्वनाश होने लगा । १४ वीं शताब्दी के मध्य में अत्याचारी अलाउद्दीन का आसुरी अवतार हुआ । उसने आर्यावर्त के आदर्श और अनुपम ऐसे असंख्य देवमन्दिरों का, जिन के कारण स्वर्ग के देव भी इस पुण्य - भूमि में जन्म लेने की वांछा किये करते थे, नाश करना प्रारंभ किया । जिन की रमणीयता की बराबरी स्वर्ग के विमान भी नहीं कर सकते वैसे हजारों मन्दिरों को धूल में मिला दिये गये । जिन भव्य और शान्तस्वरूप प्रतिमाओं को एक ही बार प्रशान्त मनसे देख लेने पर पापीष्ठ आत्मा भी पवित्र हो जाता था वैसी असंख्य देवमूर्तियों को, उन के पूजकों के हृदयों के साथ, विदीर्ण कर दिया। हाय ! इस आपत्काल के पहले

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