Book Title: Shatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुख्य मन्दिर का इतिहास । कर्मा साह के इस उद्धार के वर्णन की एक लंबी प्रशस्ति, इस महान् मन्दिर के अग्रिम द्वार पर, एक शिलापट्ट में ऊकीरी हुई है । यह प्रंशस्ति कविवर लावण्यसमय की बनाई हुई और इस प्रबन्धकर्त' के हाथ ही की लिखी हुई है । इस में, बहुत ही संक्षेप में, इस उद्धार का वर्णन लिखा हुआ है। प्रशस्तिं के सिवा, भगवान आदिनाथ की और गणधर पुण्डरीक की मूर्ति पर भी कर्मा साह के संक्षिप्त गद्य-लेख हैं। ये सब लेख परिशिष्ट में दिये गये हैं। ___ जो पाठक संस्कृत नहीं जानते अथवा जिन्हें केवल प्रबन्धान्तर्गत ऐतिहासिक भाग ही देखने की इच्छा हो उन के लिये इस 'उपोद्वात' के अगले ही पृष्ठ से 'शत्रुजयतीर्थोद्धार प्रबन्ध का ऐतिहासिक सारभाग' दिया गया है। इस सार-भाग में यथास्थान कुछ टिप्पणी भी अन्यान्य ऐतिहासिक ग्रन्थों के अनुसार लगा दी है । दूसरे उल्लास के प्रारंभ में अणहिल्लपुर स्थापक वनराज चावडे से ले कर शत्रुजयोद्धारक कर्मा साह तक के गुजरात के राजा-बादशाहों की सूची है। उन का विशेष वृत्तान्त जानने के लिये फार्बस साहब की 'रासमाला' या श्रीयुक्त गोविन्दभाई हाथीभाई देशाई रचित 'गुजरातनो प्राचीन अने अर्वाचीन इतिहास' नामक पुस्तक देखनी चाहिए। प्रबन्ध के अन्त में, स्वयं प्रबन्धकार ने एक 'राजावली-कोष्टक' दिया है जिस में द्वितीय उल्लासोल्लिखित नृपतियों ने कितने कितने समय तक राज्य किया था उस का कालमान लिखा हुआ है । इस में गुजरात के क्षत्रिय नपतियों का जो कालमान है वह तो अन्यान्य ऐतिहासिक लेखों के साथ सम्बद्ध हो जाता है परन्तु मुसलमान बादशाहों के विषय में कहीं कहीं विसंवाद प्रतीत होता है । सिवा, इस में दिल्ली के बादशाहों की भी नामावली ओर राज्यवर्षगणना दी हुई है परन्तु उन में For Private and Personal Use Only

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