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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ उपोद्घात A M amam ५ हेमाभाई सेठ की टोंक। इस को अहमदाबाद के नगरसेठ हेमाभाई ने संवत् १८८२ में बनाया है और ८६ में प्रतिष्ठित किया है । इस में ४ बडे मन्दिर और ४३ देहरियां हैं। ६ प्रेमचंद मोदीकी टोंक।। अहमदाबाद के धनिक मोदी प्रेमचंद सेठ ने शत्रुजय तीर्थ की यात्रा करने के लिये एक बडा भारी संघ निकाला था । तीर्थ की यात्रा किये बाद उन का दिल भी यहां पर मन्दिर बनाने का हो गया । लाखों रुपये खर्च कर यह टोंक बनाई और इस की प्रतिष्ठा करवाई । इस में छ बडे मन्दिर और ५१ देहरियां बनी हुई हैं । इस सेठ ने अपनी अगणित दौलत धर्म कार्य में खर्च की थी। कर्नल टॉड साहब ने अपने पश्चिमभारत के प्रवासवर्णन में लिखा है कि " मोदी प्रेमचन्द की दौलत का कुछ ठिकाना नहीं था । उस की कीर्तिने सम्प्रति जैसे प्रतापी और उदार राजा की कीर्ति को भी ढांक दी है।" ७ बालाभाई की टोंक। - घोघा-बन्दर के रहने वाले सेठ दीपचंद कल्याणजी, जिन का बचपन का नाम बालाभाई था, ने लाखों रुपये व्यय कर संवत् १८९३ में इस टोंक को बनाया है । इस में छोटे बडे अनेक मन्दिर अपने उन्नत शिखरों से आकाश की साथ बात कर रहे हैं। __ इस टोंक के ऊपर के सिरे पर एक मन्दिर है जो ' अद्भुत' मन्दिर कहा जाता हैं । इस में, आदिनाथ भगवान् की, पांच सौ धनुष जितने विशाल शरीरमान का अनुकरण करने वाली मूर्ति है । यह पर्वत ही में से उकीरी गई है । यह प्रतिमा १८ फूट ऊँची है। एक घुटने से दूसरे घुटने तक १४॥ फुट चौडी है। संवत् १६८६ में धरमदास सेठ For Private and Personal Use Only
SR No.020705
Book TitleShatrunjay Mahatirthoddhar Prabandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1917
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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