________________
पहिला परिच्छेद ।
[३५
महासिन्धु नदी महागंगा नदी हिमवन
परवत म्लेच्छ खण्ड
। म्लेच्छ खण्ड म्लेच्छ खण्ड ह
विजया पर्वत अ१ अ४ : आर्यखण्ड
म्लेच्छ
ग्लेच्छ
महाग
/गाज
लवण समुद्र भरतक्षेत्रके दो विभागोंमें एक उत्तरीय विभाग, दूसरा दक्षिणी विभाग कहलाता है। उत्तरीय विभागमें म्लेच्छ रहते हैं। दक्षिणी विभाग महासिन्धु और महागंगा नामक दो नदियों द्वारा तीन विभागोंमें विभक्त । है। इन विभागोंके सर्व अन्तिम पूर्वीय और पश्चिमीय विभागोंमें भी म्लेच्छ रहते हैं। हमलोगोंका निवास मध्य विभागके उपसमुद्र में है (अ १, अ२. अ ३. अ ४)। इसकी पूर्व दिशामें महागंगा नदी, उत्तरमें विजया पर्वत. पश्चिममें महासिन्धु और दक्षिणमें लवण समुद्र है। भरतक्षेत्र ५२६६ योजन अर्थात् इक्कीस लाख चार हजार दोसौ. माइल ग्यारह गज और १११ इंच है। महासिंधु और महानंगा नामक नदियां और विजयाध पर्वत इस छै भागों में बांट देता है, जैमा कि हम ऊपर देख चुके हैं।
आधुनिक लमम्त संमार अर्थात् ऐशिया, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया आदि इसी आर्यस्खण्डके मध्यमें स्थित उपShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
"