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.. पहिला परिच्छेद ।
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वर्तमान भारतवर्षके उत्तरमें हिमालय पर्वत है जो करीब १६०० मील लंबा है, और जिसके पार तिब्बत देश है। यह पर्वत आधुनिक संसारमें सबसे ऊंचा है। भारतके इस उत्तरीय भागमें नेपाल, भूतान
और सिक्किम मिले हुए हैं। पूर्व दिशा ब्रह्मा और बंगालकी खाड़ीसे सीमाबद्ध है। पश्चिम दिशामें अफगानिस्तान बलोचिस्तान और अरब सागर हैं। इस देशका समग्र सागर तट अनुमानतः चार हजार मील लंबा है और इसका समग्र क्षेत्रफल १८,०२,६५७ वर्गमील है।
___" भारतवर्ष एक प्रकारसे अपने आपमें एक छोटासा संसार है। इसमें प्रत्येक जातिके मनुष्य, प्रत्येक धम्मैके अनुयायी, प्रत्येक रङ्गके व्यक्ति और सभ्यता तथा श्रेष्ठताकी दृष्टिसे भी सब प्रकारके मनुष्य मिलते हैं। इस देशके पहाड़ ऊँच और लम्बे हैं। उनमें बहुतसी बहुमूल्य खाने हैं। इस देशकी नदियां लम्बी, चौड़ी और पानीसे मुंहामुंह भरी हुई हैं। उनमें नार्वे चल सकती हैं। यहांके वन सैकड़ों वर्गमीलतक फैले हुए हैं। वे प्रत्येक प्रकारकी वनस्पतिसे सज्जित और नानाप्रकारके वृक्षोंसे परिपूर्ण हैं । 'उनमें बहुतसे अब कटचुके हैं और वहांकी भूमिपर अब खेती होती है। इस देशमें रेतीले मैदान भी मीलों तक फैले हुए हैं ।........इस देशके अधिक भागमें खेती होती है। जिस प्रचुरतासे विविध प्रकारके शस्य, बीज, फल और फूल इस देशमें उत्पन्न होते हैं कदाचित् ही संसारके किसी अन्यभागमें उत्पन्न होते हों। यहांके वृक्ष बड़े सुन्दर, छायादायक और फलदार हैं। हमारे देशके वहुतसे प्रदेश ऐसे हैं जो अपनी उपजकी दृष्टिसे उद्यानके नमूने हैं। उनके दृश्य बहुत ही सुंदर और मनोहर
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