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संक्षिप्त जैन इतिहास प्रथम भाग ।
उन्हें तो भगवान आदीश्वरने इक्ष्वाकुवंशीय क्षत्री राना बना पृथ्वीकी रक्षा करनेका भार सोपा । जो कुरु देशके रहनेवाले शासक थे उन्हें कुरुवंशीय कहा। जो उग्र थे और जिनकी आज्ञा उग्र मालूम पड़ती थी उन्हें उग्रवंशीय बनाया। न्यायपूर्वक प्रजाकी रक्षा करनेवालोंको भोजवंशीय नामसे पुकारा और अनेक मनुष्य जो प्रजाको हषायमान रखते थे उन्हें सामान्य राजा बनाया।"* भगवानने सुकोशल, अवंती. पुंडू, उंड्र, अम्मक, रम्यक, कुरु. काशी, कलिंग, अंग, बंग, सुहम. समुद्रक, काश्मीर, उशीनर, आनर्त. वत्स, पञ्चाल, मालव. दशार्ण. कच्छ. मगध, विदर्भ, कुरुजांगल, करहाट. महाराष्ट्र. सुराष्ट्र, आभीर, कोंकण. बनवास,
आंध्य, कर्णाट, कौशल, चोल, केरल, दास, अभिसार. सौबीर, सूरसेन, अपरांत, विदेह, सिंधु, गांधार, पवन, चदि, पल्लव, काम्बोज. आग्द. वाव्हीक, तुरुष्क, शक और केकय इन बाँवन देशोंकी रचना की x इन देशोंको मुख्य प्रदेशोंके अन्तर्गत इस प्रकार बताया गया है:( १ ) मध्यप्रदेश काशी, कौशल. कौशल्य, कुसंध्य, अश्वष्ट, साल्व
त्रिगत, पंचाल. भद्रकार, पाटच्चर. मौक. मत्म्य. कनीय. सूरसेन
एवं वृकार्थक । ( २ ) समुद्रतट प्रदेश कलिंग, कुरुजांगल, कैकेय. आत्रेय, कांबोज, ___ वाल्हीक, यवन, श्रुति, सिंधु, गांधार. सौवीर, सुर, भीरु,
दशेरुक, बाडवान. भारद्वाज और क्वाथतोया । । ( ३ ) उत्तर प्रदेश तार्ण, कार्ण, प्रच्छाल आदि । - * श्री जिनसेनाचार्य कृत हरिवंशपुराण सर्ग ८ पृष्ठ १२८ । ....देखो बार सरजमलकृत " जैन इतिहास " भाग १ पृष्ठ ३८ ।
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