________________
६६] संक्षिप्त जैन इतिहास प्रथम भाग। खेती होती थी, और कहीं जल वृष्टिके आधारपर ! इस समय प्रत्येक देशके राजा भी नियत कर दिए थे। उस समय ऐसे भी देश थे जहां भील, लुटेरे, शिकारी आदि शूद्रोंका राज्य था। इन बातोंके साथ २ निम्नके छोटे बड़े गांवकी रचना आदिके वर्णनसे हम उस प्रारंभिक समयकी सभ्यताका भी अन्दाजा कर सकते हैं जो वैदिक सभ्यतासे प्राचीन एवं उसकी जड़ थी।
उस समय ग्राम आदिकी रचनाका क्रम इस प्रकार थाः
" राजधानी प्रत्येक देशके मध्यमें बनाई गई थी, जिनमें कांटोंकी बाढसे घिरे हुए मकान बनाये गये थे और किसान व शूद्र रहते थे। ऐसे सौ घरोंका छोटागांव और पांचसौ घरोंका बड़ा गांव कहलाता था। छोटे गांवकी सीमा एक कोशकी और बड़े गांवकी सीमा दो कोशकी, स्मशान, नदियों बंबूल आदि कांटेदार वृक्षों व पर्वत और गुफाओंसे की गई थी। गांवोंको बसाना, उनका उपभोग करना, गांव निवासियों के लिये नियम बनाना, गांवोंकी आवश्यक्ताओंको पूरी करना, आदि कार्य राज्यके आधीन रखे गये । जिन स्थानोंपर मकानात हवेलियां, कई बड़े २ दरवाजे बनाए गए और प्रसिद्ध पुरुष बसाए गए उन स्थानोंका नाम नगर पड़ा। नदियों और पर्वतोंसे घिरे स्थानोंको खेट नाम दिया और चारोंओर पर्वतोंसे घिरे स्थानोंको खर्वट नाम दिया । जिन गांवोंके आसपास पांचसौ घर थे उन्हें मंडव नाम दिया गया। समुद्रके आसपासवाले स्थानोंको पत्तन और नदीके पासवाले गांधोंको द्रोणमुख संज्ञा दी। राजधानियोंके आधीन
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com