________________
८]
संक्षिप्त जैन इविकास प्रथम भाग।
मोक्ष पधारे । आपके जीवनमें भी प्रत्येक तीर्थकरकी भांति विशेष घटनाएं घटित हुई थीं।
भगवान् श्रेयांसनाथके समयमें प्रथम प्रतिनारायण ( चक्रवर्तीसे आधे राज्यके अधिकारी) अश्वग्रीव प्रथम नारायण तृपृष्ठ और प्रथम बलदेव विजय थे । अश्वग्रीव बादमें तृपृष्टके आधीन हो गए थे। तृपृष्ट और बलदेव भाई भाई पोदनपुरके राजा प्रजापतिके पुत्र थे। तृपृष्ठका राज्य उनके पुत्र श्री विजयको मिला। श्री विजयकी स्त्री ताराको विद्याधर हरकर ले गया था, जिसे युद्ध द्वारा श्रोविजय वापस लाया। बलदेव मुनि हो मोक्ष गए ।
___ भगवान् श्रेयांसके चउवन सागर बाद वासुपूज्य तीर्थकर हुए। इनके जमके (भगवान् श्रेयांसके जन्मके पहिलेके समयसे कुछ अधिक) पहिलेसे धर्मका मार्ग बंद हो गया था। आषाद वदी छटको भगवान अपनी माता जयावतीके गर्भ में आए और फाल्गुन वदी चतुर्दशीको अपने पिता राजा वसुपूज्यकी राजधानीमें आपका जन्म हुआ। आप इक्ष्वाकु वंशी काश्यप गोत्री थे। आप बालब्रह्मचारी थे। कुमार अवस्थाके बाद आपको वैराग्य हुआ और फाल्गुन वदी चतुर्दशीके दिन छहसौछियत्तर राजाओं सहित तप धारण किया । एक दिन उपवास कर दूसरे दिन महापुरके राजा सुन्दरनाथके वहां आपने आहार लिया और माघ सुदी द्वादशीके दिन केवलज्ञान प्राप्त किया था। समस्त आर्यखंडमें धर्मोपदेश देकर मंदारगिरिसे भाप भादों सुदी चतुदेशीको मोक्ष गए । अापके जीवन में भी सब विशेष बातें प्रत्येक तीर्थकरकी मांति हुई थी।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com