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हुए थे। आपके विषयमें भी वह सब बातें हुई थीं जो प्रत्येक तीर्थकरके होती हैं। आपके समकालीन राजा सुलमाराय थे । आपके पश्चात् मुनिसुव्रतनाथके पहिले महापद्म नामका सार्वभौम चक्रवर्ती राजा हुआ था । एवं नारायणदत्त और बलिदेव नंदिमित्र हुए थे !
भगवान मुनिसुव्रतनाथ राजगृहीमें हुए थे। इनके पिता हरिवंशीय नृप सुमित्रनाथ थे। आप अपनी माता रानी पद्मावतीदेवीके गर्भमें सावन वदी दोजको आकर उन्हींके कोखसे मिती वैशाख कृष्ण १० को जन्मे थे। आपने विवाह कर राज्य भोग किया था। पश्चात् मिती वैशाख कृष्ण १० को दीक्षित हुए थे । वेला करके मिथिलापुरमें राजा दत्तके यहां आहार लिया था। फिर मिती वैशाख वदी नौमीको आपको केवलज्ञानका लाभ हुआ। आपने भी विहार
और धर्मप्रचार किया था। फागुन वदी द्वादशीको सम्मेदशिखरसे मोक्षलाम किया। आपके भी वह सब बातें हुई थीं जो प्रत्येक तीर्थकरकी होती हैं।
इक्कीसवें तीर्थङ्कर भगवान नमिनाथ आश्विन कृष्ण दोजको अपनी माता बप्रादेवीके गर्भमें आए थे। और आषाढ़ कृष्णा दशमीको आपका जन्म हुआ था । आपके पिता इक्ष्वाकु वंशीय नृपति विजयस्थ थे। आपने विवाह और राज्य किया था। आपके समकालीन राजा विजयराज थे। पश्चात् आषाढ़ कृष्ण १० को आपने दीक्षा ग्रहण की थी और बेला करके प्रथम पारणा आपने राजगृही नगरमें सुनयदत्तके यहां किया था। पश्चात् नौवर्ष संयमकालमें व्यतीत करके आपने मिती माघ शुक्ल एकादशीको केवलज्ञान प्राप्त किया था।
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