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सांक्षप्त जैन इतिहास प्रथम भाग |
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हैं। वहां सब प्रकारकी जड़ी बूटी. फल फूल और अन्य अनेक वस्तुएं उत्पन्न होती हैं
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हमारे पर्वतों में बहुतसी घाटियां ऐसी मिलती हैं जो निस्संदेह स्वर्गके नमूने हैं। जैसे कि काश्मीरकी दृश्यावली. कुल्लूकी घाटियां और दार्जिलिंगकी चोटियां । साराशमें यह देश इस योग्य है कि यहांके निवासी न इसपर अभिमान करें वरन् शुद्धभावसे इसकी पूजा करें ।* भारतवर्षकी जन संख्या ।
इस समस्त भारतकी जनसंख्या सन् १९२१ ई० की सरकारी मनुष्यगणना के विवरण के अनुसार ३१८९४२४८० है । प्रत्येक धर्मके अनुयायियों की संख्या अलग अलग इस प्रकार है:
धर्म
जनसंख्या
२१६७३४५८६
६६७२५३३०
११७०५९६
हिन्दू
मुसलमान
'
सिक्ख
ईसाई
जैन
४७५४०६
११५७२३८
बौद्ध एवं अन्य
३२६७९३२४
किन्तु सन् १९४१ की गणना में यह संख्या करीब ४१ करोड़ है । भारतवर्षकी प्राचीन और अर्वाचीन आकृति ।
भूतत्वविद्या के मतानुसार भारतवर्षकी प्राचीन आकृति वर्तमानकी भांति नहीं थी। उनका कहना है कि किसी समय पहिले उस प्रदेश
* Ibid : भाग १. पृष्ठ ३५-३६.
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