Book Title: Samaysara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 16
________________ (१५) परमार्थ से सत्यार्थ ना वह केवली का केवलि - गुणों का स्तवन ही केवली का वर्णन नहीं है नगरपति का नगर वर्णन केवली - वंदन नहीं है देह वंदन देह वंदन स्तवन । स्तवन ॥ २९ ॥ जिसतरह । उसतरह ॥ ३० ॥ जो इन्द्रियों को जीत जाने ज्ञानमय निज वे हैं जितेन्द्रिय जिन कहें परमार्थ साधक आतमा । आतमा ॥ ३१ ॥ मोह को जो जीत जाने ज्ञानमय निज आतमा । जितमोह जिन उनको कहें परमार्थ ज्ञायक आतमा ॥ ३२ ॥ सब मोह क्षय हो जाय जब जितमोह सम्यक् श्रमण का । तब क्षीणमोही जिन कहें परमार्थ ज्ञायक आतमा ॥ ३३ ॥

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